नेपीता:
म्यामां में विपक्ष की नेता एवं नोबेल पुरस्कार से सम्मानित आंग सान सू ची ने गुरुवार को वर्ष 2015 में राष्ट्रपति चुनाव में अपनी उम्मीदवारी पेश करने की इच्छा को सार्वजनिक करते हुए देश के संविधान में संशोधन करने की मांग की। देश के वर्तमान संविधान के अनुसार सू ची राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव नहीं लड़ सकती हैं।
यहां आयोजित विश्व आर्थिक मंच के सत्र में सू ची ने कहा, ‘‘मैं राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ना चाहती हूं और मैं इसे लेकर स्पष्ट हूं।’’ 67 वर्षीय सू ची ने कहा, ‘‘यदि मैं यह कहूं कि मैं राष्ट्रपति नहीं बनना चाहती तो यह ईमानदारी नहीं होगी और मैं अपने लोगों के साथ ईमानदार रहना चाहती हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आप वास्तव में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव नहीं लड़ते क्योंकि राष्ट्रपति का चुनाव सीधे नहीं होता, लेकिन राष्ट्रपति पद के लिए मेरी अर्हता सुनिश्चित करने के लिए संविधान में संशोधन आवश्यक है।’’
यह पूछने पर कि क्या उन्हें विश्वास है कि देश में संविधान संशोधन किया जाएगा, नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) की अध्यक्ष सू ची ने कहा, ‘‘मैं सिर्फ आशावादिता में लिप्त रहने में विश्वास नहीं करती। या फिर इसे कुछ इस तरह कहें कि आशा को उद्यम के समर्थन की जरूरत होती है। इसलिए संविधान संशोधन के संबंध में आशावादी होने के बजाए हम संविधान में संशोधन के लिए काम करने वाले हैं।’’ ‘म्यामां : भविष्य क्या है?’ शीर्षक से आयोजित सत्र में केन्द्रीय मंत्री और म्यामां के राष्ट्रपति के कार्यालय के अधिकारियों ने भी भाग लिया।
सू ची वर्ष 2008 में पारित संविधान संबंधित दस्तावेज को संशोधन के लिहाज से दुनिया का सबसे कठिन संविधान बताती हैं।
वर्तमान संविधान के अनुसार, ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसका जीवन साथी और बच्चे किसी अन्य देश के नागरिक हों उसे देश के सर्वोच्च पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है। सू ची के दिवंगत पति माइकल एरिस से जन्मे उनके दो बेटे ब्रिटिश नागरिक हैं।
यहां आयोजित विश्व आर्थिक मंच के सत्र में सू ची ने कहा, ‘‘मैं राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ना चाहती हूं और मैं इसे लेकर स्पष्ट हूं।’’ 67 वर्षीय सू ची ने कहा, ‘‘यदि मैं यह कहूं कि मैं राष्ट्रपति नहीं बनना चाहती तो यह ईमानदारी नहीं होगी और मैं अपने लोगों के साथ ईमानदार रहना चाहती हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आप वास्तव में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव नहीं लड़ते क्योंकि राष्ट्रपति का चुनाव सीधे नहीं होता, लेकिन राष्ट्रपति पद के लिए मेरी अर्हता सुनिश्चित करने के लिए संविधान में संशोधन आवश्यक है।’’
यह पूछने पर कि क्या उन्हें विश्वास है कि देश में संविधान संशोधन किया जाएगा, नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) की अध्यक्ष सू ची ने कहा, ‘‘मैं सिर्फ आशावादिता में लिप्त रहने में विश्वास नहीं करती। या फिर इसे कुछ इस तरह कहें कि आशा को उद्यम के समर्थन की जरूरत होती है। इसलिए संविधान संशोधन के संबंध में आशावादी होने के बजाए हम संविधान में संशोधन के लिए काम करने वाले हैं।’’ ‘म्यामां : भविष्य क्या है?’ शीर्षक से आयोजित सत्र में केन्द्रीय मंत्री और म्यामां के राष्ट्रपति के कार्यालय के अधिकारियों ने भी भाग लिया।
सू ची वर्ष 2008 में पारित संविधान संबंधित दस्तावेज को संशोधन के लिहाज से दुनिया का सबसे कठिन संविधान बताती हैं।
वर्तमान संविधान के अनुसार, ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसका जीवन साथी और बच्चे किसी अन्य देश के नागरिक हों उसे देश के सर्वोच्च पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है। सू ची के दिवंगत पति माइकल एरिस से जन्मे उनके दो बेटे ब्रिटिश नागरिक हैं।