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मजदूर के बेटे, दादा रसोइया थे... KGB के जासूस व्लादीमीर पुतिन 25 सालों में कैसे सत्ता के शिखर पर पहुंचे

Vladimir Putin: रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन 25 सालों से रूस की सत्ता की कमान संभाल रहे हैं. सोवियत संघ और जर्मनी के विघटन-एकीकरण के गवाह पुतिन रूस की पुरानी आन-बान-शान लौटाने के लिए जी जान से जुटे हैं. 

मजदूर के बेटे, दादा रसोइया थे... KGB के जासूस व्लादीमीर पुतिन 25 सालों में कैसे सत्ता के शिखर पर पहुंचे
Vladimir Putin
नई दिल्ली:

Vladimir Putin Latest News: नई दिल्ली यात्रा पर आ रहे रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन को लेकर दुनिया में भले ही दो राय हों, लेकिन भारत और सोवियत संघ की दोस्ती को लेकर दोनों देशों में एक राय दिखती है. पुतिन रूस के सबसे ताकतवर नेता ऐसे ही नहीं बने, उन्होंने सोवियत संघ के विघटन का बुरा दौर अपनी आंखों से देखा है. पुतिन रूस को किसी भी कीमत पर कमजोर नहीं देखना चाहते. हालांकि पुतिन ने कैसे कामयाबी की सीढ़ियां चढी़ं, आइए जानते हैं... 

पुतिन एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे और उनकी मां एक कारखाने में मजदूरी करती थीं. लेकिन उनके दादा सोवियत संघ के बड़े नेताओं के कुक थे. पुतिन ने लेनिनग्राद यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई की और फिर रूस की खुफिया एजेंसी केजीबी में 15 वर्ष तक खुफिया एजेंट रहे.रूसी राष्ट्रपति के करीबी बोरिस येल्तसिन ने 1999 में पुतिन को पीएम बनाया और फिर वर्ष 2000 में पुतिन ने राष्ट्रपति चुनाव भारी बहुमत से जीता था.

पुतिन के दादा सोवियत नेता व्लादीमीर लेनिन और जोसेफ स्टालिन के रसोइये थे. पुतिन का जन्म 7 अक्टूबर 1952 को लेनिनग्राद में हुआ था. उनका बचपन बेहद गरीबी और मुश्किलों में बीता.पिता स्प्रिदोनोविच पुतिन को सोवियत संघ की सेना में भर्ती हुए और फिर सेकेंड वर्ल्ड वार शामिल हुए. द्वितीय विश्व युद्ध में पुतिन ने बेहद कम उम्र में अपने दोनों भाइयों को खो दिया. 

पुतिन की गर्लफ्रेंड कौन
पुतिन की शादी ल्यूडमिला एलेक्जेंड्रोना से हुई थी, जो एक लैंग्वेज ट्रांसलेटर थीं और उनका 2014 में तलाक हो गया. पुतिन की दो बेटियां मारिया और कैटरीना राजनीति से दूर रहती हैं. खबरों के मुताबिक, पुतिन की एक गर्लफ्रेंड एलिना काबेवा से लंबे समय का साथ है. हालांकि उन्हें वाइफ या फर्स्ट लेडी का दर्जा नहीं मिला है. ओलंपिक जिम्नास्ट रहीं काबेवा ने दो गोल्ड मेडल जीते और 14 बार वर्ल्ड चैंपियनशिप भी जीतीं. काबेवा 2007 से सात साल तक राज्य संसद की उप प्रमुख भी रह चुकी हैं. 

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लॉ ग्रेजुएट और KGB एजेंट की जिम्मेदारी
पुतिन ने लेनिनग्राद यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ली और फिर खुफिया एजेंसी से जुड़ गए, जहां उन्होंने 15 साल बेहतरीन काम किया. पुतिन ने 6 साल केजीबी जासूस के तौर पर जर्मनी में काम किया. फिर पुतिन 1990 में लेफ्टिनेंट कर्नल की पोस्ट से खुफिया एजेंसी से रिटायर हुए. वो एक सामान्य जिंदगी की सोच रहे थे, लेकिन सेंट पीटर्सबर्ग मेयर के पहले सलाहकार की जॉब ने उनकी किस्मत बदल दी. भरोसेमंद पुतिन को उन्होंने 1994 में डिप्टी मेयर बनवाया. 

येल्तसिन के बाद जिम्मेदारी
पुतिन 1996 में रूस की राजधानी मॉस्को आए और वहां बड़े नेताओं के भरोसेमंद सलाहकार बन गए. बोरिस येल्तसिन ने जुलाई 1998 में पुतिन को फेडरल सिक्योरिटी सर्विस FSB का शीर्ष पद दिया. फिर पुतिन प्रभावशाली सिक्योरिटी काउंसिल के सेक्रेटरी बन गए.भारी आलोचना झेल रहे येल्तसिन का 1999 में उत्तराधिकारी खोजा जाने लगा तो पर्दे के पीछे भूमिका निभाने वाले शांत और जिम्मेदार पुतिन को प्रधानमंत्री बनाया गया. 

चेचेन विद्रोहियों के खिलाफ अभियान
पुतिन ने सत्ता संभालते ही रूस को कमजोर करने वाले चेचेन विद्रोहियों के खिलाफ ऑपरेशन छेड़ा. उन्होंने भ्रष्ट अमीरों पर सख्ती के साथ गरीबों के लिए कई योजनाएं चलाईं तो उन्हें हीरो माना जाने लगा. जनता का गुस्सा झेल रहे येल्तसिन ने 31 दिसंबर 1999 को पद छोड़ा और पुतिन को कार्यवाहक राष्ट्रपति बना दिया. 

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पुतिन बने राष्ट्रपति
रूस को फिर से महान बनाने का वादा कर मार्च 2000 में पुतिन ने भारी बहुमत से चुनाव जीत लिया. भ्रष्टाचार का अंत और पूंजीवादी बाजार पर नियंत्रण के वादे के साथ भरोसा जीता. पुतिन ने सोवियत संघ विघटन के बाद एक और बिखराव का खतरा झेल रहे रूस को एकजुट करने की ठानी. उन्होंने 89 प्रांतों का विलय करके 7 संघीय प्रांतों में बदला. उद्योगपतियों का सरकार पर वर्चस्व खत्म किया.

सरकार पर कमान मजबूत की
रूस में मीडिया और इंटरनेट पर कड़े प्रतिबंधों को लेकर पुतिन की आलोचना की जाती है. हालांकि वो इसे देशविरोधी ताकतों पर नियंत्रण के लिए जरूरी मानते हैं. पुतिन का बिजनेसमैन को भी साफ संदेश दिया है कि वो अर्थव्यवस्था और देश हित के लिए अपने निजी हित छोड़ दें. यही वजह है कि कई उद्योगपतियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है.पुतिन पर पड़ोसी मुल्कों की जमीन हड़पने का आरोप भी लगता रहा है. जॉर्जिया में 2008 और फिर 2014  में क्रीमिया पर कब्जे के साथ और 2022 में रूस यूक्रेन युद्ध भी इसका उदाहरण है.

सोवियत संघ विघटन का इतिहास
पुतिन ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ में गरीबी, बेरोजगारी के बुरे दौर को देखा.उन्होंने 1989 में जर्मनी को बिखरते देखा और 1991 में सोवियत संघ के विघटन की यादें भी वो कभी भुला नहीं पाए. पुतिन ने सोवियत संघ विघटन को 20वीं सदी की सबसे विनाशकारी घटना बताया था. इस कारण वो रूस की सीमा पर यूरोप, नाटो जैसे संगठन या अमेरिका जैसी किसी अन्य ताकत को मजबूत नहीं होने देना चाहते. 

पुतिन 1999 से 2008 तक राष्ट्रपति रहे. फिर प्रधानमंत्री बनने के बाद 2012 से फिर राष्ट्रपति पद पर हैं.संवैधानिक मजबूरियों की वजह से वो 4 साल बीच में प्रधानमंत्री बने और उनकी जगह दमित्री मेदवदेव ने ली थी. पुतिन पर एलेक्सी नेवलनी जैसी विपक्षी नेताओं के उत्पीड़न और गलत आरोपों में जेल भेजने का भी आरोप लगा था.

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