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This Article is From Jun 18, 2025

ईरान-इजरायल की जंग में अमेरिका कूदे या नहीं? समझें यह ट्रंप के लिए सबसे कठिन सवाल क्यों

Israel Iran War: इजरायल-ईरान की जंग में कूदना है या नहीं, ट्रंप के लिए यह चुनाव बड़ा मुश्किल है. वजह है कि उन्होंने ओवल ऑफिस में अपने पहले और दूसरे, दोनों कार्यकालों में अमेरिका को मिडिल ईस्ट के युद्ध से हमेशा के लिए बाहर निकालने की कसम खाई थी.

ईरान-इजरायल की जंग में अमेरिका कूदे या नहीं? समझें यह ट्रंप के लिए सबसे कठिन सवाल क्यों
Israel Iran War: इजरायल-ईरान युद्ध के बीच अमेरिका के लिए बड़ा सवाल- जंग में कूदे या नहीं
  • इजरायल-ईरान की जंग में कूदना है या नहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए यह चुनाव बड़ा मुश्किल है.
  • उन्होंने कहा अमेरिका ईरान के सुप्रीम लीडर को जब चाहें मार सकता है, लेकिन "अभी के लिए" वो ऐसा नहीं कर रहा है.
  • ट्रंप ने अमेरिका को मिडिल ईस्ट के युद्ध से हमेशा के लिए बाहर निकालने की कसम खाई थी.
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस पद पर अपने दूसरे कार्यकाल में हैं. ट्रंप व्हाइट हाउस में गुजारे गए अपने अबतक के वक्त में संभावित रूप से सबसे कठिन यक्ष प्रश्न का सामना कर रहे हैं- अमेरिका को ईरान के खिलाफ इजरायल के सैन्य अभियान में शामिल होना चाहिए या नहीं. कनाडा में G7 शिखर सम्मेलन के खत्म होने से पहले ही ट्रंप अमेरिका लौट आए और उन्होंने ईरान-इजरायल की इस जंग में अमेरिकी हस्तक्षेप की अटकलों को हवा दे दी. उन्होंने मंगलवार को चेतावनी दी कि अमेरिका ईरान के सुप्रीम लीडर को जब चाहें मार सकता है, लेकिन "अभी के लिए" वो ऐसा नहीं कर रहा है.

इजरायल-ईरान की जंग में कूदना है या नहीं, ट्रंप के लिए यह चुनाव बड़ा मुश्किल है. वजह है कि उन्होंने ओवल ऑफिस में अपने पहले और दूसरे, दोनों कार्यकालों में अमेरिका को मिडिल ईस्ट के युद्ध से हमेशा के लिए बाहर निकालने की कसम खाई थी.

फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज में ईरान प्रोग्राम के डायरेक्टर बेहनम बेन तालेब्लू ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया, "यह एक प्रमुख राजनीतिक और सैन्य विकल्प है जो मिडिल ईस्ट में ट्रंप की विरासत को परिभाषित कर सकता है."

मंगलवार, 17 जून को जब ट्रंप ने व्हाइट हाउस के सिचुएशन रूम में अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद से मुलाकात की, तो पहले से ही संकेत थे कि वह उस रास्ते को छोड़ने पर विचार कर रहे हैं जो हाल तक उनका पसंदीदा राजनयिक मार्ग था. 

ट्रंप कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, उसमें सबसे संभावित यह है कि ईरान के अंडरग्राउंड फोर्डो परमाणु सुविधा के खिलाफ वह अमेरिका के "बंकर-बस्टर" बमों के उपयोग को मंजूरी दे दें. जमीन के अंदर बने इस परमाणु सुविधा तक इजरायल के बम नहीं पहुंच पा रहे हैं और न ही पहुंच सकते हैं.
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खत्म करना ट्रंप की प्राथमिकता बनी हुई है. पश्चिमी देशों का कहना है कि तेहरान परमाणु हथियार हासिल करने के लिए अपने परमाणु कार्यक्रम का इस्तेमाल कर रहा है.

पल-पल बदल रही स्थिति, ट्रंप हर विकल्प पर विचार कर रहें

ट्रंप ने यह भी संकेत दिया कि ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई की हत्या पर फिर से विचार किया जा रहा है, वह चर्चा का मुद्दा है. जबकि कुछ दिन पहले ही एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि ट्रंप ने इजरायल के इस तरह के प्लान को खारिज कर दिया था. अमेरिकी अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि ट्रंप ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है और स्थिति अस्थिर है और हर घंटे बदली रही है. वो सभी विकल्पों को मेज पर रख रहे हैं.

न्यूज साइट Axios ने कहा कि ट्रंप अपने शीर्ष वार्ताकार स्टीव विटकॉफ और ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची के बीच एक नई बैठक पर भी विचार कर रहे हैं. हालांकि, मिडिल ईस्ट में अमेरिकी सेना पर कोई भी ईरानी हमला गेम-चेंजर साबित होगा. एक अधिकारी ने कहा कि ट्रंप किसी भी अमेरिकी की पीठ पर एक बाल को भी नुकसान पहुंचाए जाने को बर्दाश्त नहीं करेंगे.

ट्रंप के सुर में यह बदलाव उल्लेखनीय है क्योंकि एक हफ्ते से भी कम समय में अमेरिकी राष्ट्रपति ने इजरायल से कहा था कि वह किसी भी तरह का हमला करने से बचे. लेकिन इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ लगातार फोन कॉल और ईरान में शासन परिवर्तन के बारे में नेतन्याहू के स्वयं के संकेतों के बीच, ट्रंप ने स्टैंड बदला है.

ट्रंप ने कई अमेरिकी सैन्य विमानों के साथ यूएसएस निमित्ज विमानवाहक पोत को इस क्षेत्र में जाने का आदेश दिया है, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या वह ईरान के खिलाफ कोई कार्रवाई करेंगे.

ट्रंप के वोटों को भी खतरा 

ट्रंप ने एक और संकेत दिया है कि ईरान के खिलाफ अमेरिका की कार्रवाई हो सकती है- व्हाइट हाउस ट्रंप के अपने ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' आंदोलन से किसी भी प्रतिक्रिया को रोकने का स्पष्ट प्रयास कर रहा है. ईरान में अमेरिका के किसी भी हस्तक्षेप का ट्रंप के समर्थकों के अलगाववादी गुट की ओर से विरोध बढ़ सकता है. यह गुट इराक और अफगानिस्तान जैसे युद्धों से अमेरिका को दूर रखने की अपनी प्रतिज्ञा पर कायम है और वह नहीं चाहेगा कि अब अमेरिका ईरान के युद्ध में उलझ जाए.

उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने अपने बॉस का बचाव करते हुए कहा कि ट्रंप ने इस मुद्दे पर "कुछ विश्वास अर्जित किया है" और "यह निर्णय ले सकते हैं कि उन्हें ईरानी (यूरेनियम) संवर्धन को समाप्त करने के लिए आगे की कार्रवाई करने की आवश्यकता है या नहीं."

इस बीच ट्रंप ने अपने महत्वपूर्ण फैसले पर विचार करते हुए खुद अपनी मनोदशा का संकेत दिया. उन्होंने इजरायल में अमेरिकी राजदूत माइक हुकाबी, जो एक ईसाई धर्म प्रचारक हैं, की एक टिप्पणी को री-पोस्ट किया, जिसमें कहा गया था कि भगवान ने पिछले साल ट्रंप को एक हत्या के प्रयास से "बचाया" था. हक्काबी ने कहा, "मैं आपके कंधों पर जो निर्णय लेता हूं, वह किसी और के द्वारा नहीं लिया जाना चाहिए. सर, आपके पास आपसे बात करने के लिए कई आवाजें हैं, लेकिन केवल एक ही आवाज है जो मायने रखती है. उसकी आवाज."

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