अमेरिका (USA) के अनुसार पूर्वी यूरोपीय देश यूक्रेन (Ukraine) और रूस (Russia) के बीच जंग के आसार लगातार बढ़ते जा रहे हैं. रूस का लगातार यूक्रेन पर आक्रामक रुख शीतयुद्ध (Coldwar) के बाद यूरोप (Europe) की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा ख़तरा बन गया है. अमेरिका के राष्ट्रपति भवन की ओर कहा गया है कि रूस "किसी भी समय" यूक्रेन पर आक्रमण करने के लिए तैयार है. अमेरिकी और रूस राजदूतों की मीटिंग से पहले अमेरिका ने अपनी खतरे चेतावनी का स्तर बढ़ा दिया है. प्रेस सेक्रेट्री जेन साकी (Jen Psaki) ने पत्रकारों से कहा," स्थिति पहले से काफ़ी गंभीर हो गई है. हम अब उस मुकाम पर हैं जहां रूस कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकता है."
यूक्रेन पर रूस के हमले की बढ़ती चिंताओं के बीच विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन (Antony Blinken) बुधवार को यूक्रेन की राजधानी कीव (Kyiv)में राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) से मिलेंगे और यूक्रेन की संप्रभुता और सीमाओं की सुरक्षा के प्रति रूस की प्रतिबद्धता को दोहराएंगे. एंटनी ब्लिंकेन गुरुवार को जर्मनी की राजधानी बर्लिन भी जाएंगे जहां यूक्रेन के संकट पर अमेरिका (US), ब्रिटेन (Britain), फ्रांस (France) और जर्मनी (Germany) की बैठक होनी है.
यह चारों ट्रांसएटलांटिक महाशक्तियां यूक्रेन के खिलाफ बढ़ते रूसी आक्रामकता को रोकने के लिए संयुक्त उपायों पर चर्चा की जाएगी जिसमें रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की तैयारी भी शामिल होगी.
इस बीच अमेरिका को यह चिंता भी सता रही है कि रूस सैन्य अभ्यास के बहाने बेलारूस में स्थाई तौर पर सैन्य ठिकाना बना सकता है और बेलारूस में परमाणु हथियारों का खतरा भी पैदा हो सकता है.
रूस के साझीदार बेलारूस के नेता एलेक्ज़ेंडर लुकाशेंकों ने सोमार को घोषणा की है कि अगले महीने दोनों देश सैन्य अभ्यास करेंगे और इसके लिए रूसी सेनाएं बेलारूस आ रही हैं.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम सार्वजनिक ना करने की शर्त पर बताया कि रूस से बेलारूस आ रहे सैनिकों की संख्या सामान्य सैन्य अभ्यास से बहुत अधिक है.
उन्होंने कहा, "इस सैन्य अभ्यास का समय ध्यान देने वाला है और यह चिंताएं बढ़ाता है कि रूस संयुक्त सैन्यअभ्यास का झांसा देकर यूक्रेन पर हमला करने के लिए स्थाई तौर पर बेलारूस में अपनी सेनाएं तैनात कर सकता है.
अधिकारी ने बताया कि बेलारूस अगले महीने एक संवैधानिक बदलाव के लिए जनमत संग्रह करने जा रहा है. इसके बाद रूसी सेनाओं को स्थाई तौर पर बेलारूस में रहने की मंजूरी मिल सकती है.
उन्होंने आगे कहा, "संवैधानिक बदलाव के इस मसौदे में यह संकेत दिए गए हैं कि बेलारूस रूस की पारंपरिक और परमाणु शक्ति से लैस सेना को अपनी सीमा में तैनात करने की मंजूरी देने के बारे में योजना बना रहा है. इससे यूरोपीय सुरक्षा को चुनौती मिले और इसका जवाब देना ज़रूरी है."
बेलारूस की सीमा पोलैंड से भी लगती है जो एक नाटो(NATO)सदस्य है.
अमेरिकी अधिकारी ने कहा, "किसी सामान्य सैन्य अभ्यास के लिए जिसमें उदाहरण के लिए 9000 सैनिक शामिल होते हैं, 42 दिन की पूर्वसूचना देने की ज़रूरत होती है. अगर इसमें 13,000 सैनिक शामिल हो तो अंतरर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की ज़रूरत पड़ती है.यह सामान्य तौर पर होता है लेकिन यह सामान्य से बहुत अलग है."
रूस यूक्रेन पर आक्रमण की योजना से इंकार करता है लेकिन पश्चिमी देशों से सुरक्षा की गारंटी की भी मांग करता है. रूस यह वादा चाहता है कि नाटो सेनाओं को यूक्रेन में तैनात नहीं किया जाएगा. रूस ने पिछले साल यूक्रेन के बॉर्डर पर लाखों की संख्या में अपने सैनिक तैनात कर दिए थे.
अमेरिका का कहना है कि यूक्रेन में जहां 2014 में रूस-समर्थित विद्रोहों के कारण हजारों मारे गए वहां लोगों को अपना फैसला लेने की आजादी है. 2014 में रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया पर सैन्य बल से कब्ज़ा कर लिया था.
ताज़ा हालातों के बीच जर्मनी ने भी संकेत दिया है कि अगर रूस यूक्रेन पर आक्रमण करता है तो वह रूस की यूरोप में गैस सप्लाई की बड़ी पाइपलाइन योजना नॉर्ड स्ट्रीम 2 को रोक देगा. यूक्रेन की सीमा के पास एक बार फिर सेनाओं की तैनाती बढ़ाने से एक बार फिर यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध की आशंका बढ़ गई है जिसमें पश्चिमी देश यूक्रेन के साथ खड़े नज़र आते हैं.
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