विज्ञापन
This Article is From Aug 13, 2020

US के अगले उपराष्ट्रपति की दौड़ में शामिल कमला हैरिस ने याद की अपनी भारतीय मां की वो सीख

भारतीय मूल की अमेरिकी सीनेटर कमला हैरिस ने अमेरिका में नवंबर में होने वाले उपराष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी का उम्मीदवार चुने जाने के बाद अपने पहले भाषण में अपनी मां श्यामला गोपालन को याद किया.

US के अगले उपराष्ट्रपति की दौड़ में शामिल कमला हैरिस ने याद की अपनी भारतीय मां की वो सीख
भारतीय मूल की कमला हैरिस को उप-राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक कैंडिडेट चुना गया है.
वाशिंगटन:

भारतीय मूल की अमेरिकी सीनेटर कमला हैरिस ने अमेरिका में नवंबर में होने वाले उपराष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी का उम्मीदवार चुने जाने के बाद अपने पहले भाषण में अपनी भारतीय मूल की मां श्यामला गोपालन को याद किया और कहा कि उन्होंने ही उन्हें मुश्किल समय में हाथ पर हाथ रखकर बैठने और शिकायत करने के बजाए हालात में सुधार के लिए काम करने की सीख दी थी. नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के संभावित उम्मीदवार जो बाइडेन ने 55 साल हैरिस को मंगलवार को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुना था.

डेलावेयर में विलमिंगटन में बाइडेन के साथ मंच साझा करते हुए हैरिस ने कहा कि उनकी मां की उनके जीवन में अहम भूमिका है. हैरिस ने कहा, ‘मेरी मां श्यामला ने मुझे और मेरी बहन माया को सिखाया कि आगे बढ़ते रहना हमारे और अमेरिका की हर पीढ़ी पर निर्भर करता है. उन्होंने हमें सिखाया कि केवल हाथ पर हाथ रखकर मत बैठो और चीजों के बारे में शिकायत मत करो, बल्कि कुछ करके दिखाओ.' हैरिस के पिता जमैका के मूल निवासी हैं और उनकी मां भारतीय हैं. हैरिस इस समय कैलिफोर्निया की सीनेटर हैं. उन्होंने कहा, ‘आप जानते हैं कि मेरी मां और पिता विश्वस्तरीय शिक्षा के लिए दुनिया की अलग-अलग जगहों से अमेरिका में आए. एक भारत और दूसरा जमैका से यहां आया.'

हैरिस की मां श्यामला स्तन कैंसर विशेषज्ञ थीं. वह यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया बर्कले में डॉक्टरेट करने के लिए 1960 में तमिलनाडु से अमेरिका आ गई थीं. उनके पिता डोनाल्ड जे हैरिस स्टैनफोर्ड विश्ववविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं. वह अर्थशास्त्र की पढ़ाई करने जमैका से अमेरिका पहुंचे थे.

यह भी पढ़ें: उप-राष्ट्रपति पद के लिए महिला के चुनाव से पुरुष 'अपमानित' महसूस कर सकते हैं: डोनाल्ड ट्रंप

हैरिस ने कहा, ‘उन्हें 1960 के दशक में सिविल राइट्स आंदोलन एक साथ लेकर आया और इसी दौरान वे ऑकलैंड की गलियों में इंसाफ के लिए रैलियां करने के दौरान छात्रों के तौर पर एक दूसरे से मिले. न्याय के लिए संघर्ष आज भी जारी है.' हैरिस ने कहा, ‘मैं भी इसका हिस्सा थी. मेरे माता-पिता मुझे स्ट्रॉलर में अच्छे से बांधकर प्रदर्शनों में साथ ले जाते थे. मेरी मां श्यामला ने मुझे और मेरी बहन को सिखाया कि आगे बढ़ते रहना हमारे और अमेरिका की हर पीढ़ी के हाथ में है.'

उन्होंने कहा कि उनकी मां ने उन्हें कुछ करने के लिए प्रेरित किया. हैरिस ने कहा, ‘इसलिए मैंने कुछ किया. मैंने अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट के शब्दों को हकीकत में बदलने और कानून के तहत समान न्याय के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. मैं जब 30 साल पहले जज के सामने पहली बार खड़ी हुई थी, तो मैंने गहरी सांस ली थी और ऐसी बात कही थी, जिसने मेरे करियर का मार्गदर्शन किया. मैंने कहा था कि- कमला हैरिस लोगों का प्रतिनिधित्व करती है.'

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com