
अमेरिका अपने छह सैनिकों को अफगानिस्तान में इस साल की शुरुआत में पवित्र कुरान को जलाने की घटना में उनकी भूमिका के लिए सजा देगा।
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वाशिंगटन:
अमेरिका अपने छह सैनिकों को अफगानिस्तान में इस साल की शुरुआत में पवित्र कुरान को जलाने की घटना में उनकी भूमिका के लिए सजा देगा।
इस घटना के बाद अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसके बाद राष्ट्रपति बराक ओबामा को माफी मांगनी पड़ी। अमेरिकी मध्य कमान ने सोमवार को जांच की रिपोर्ट जारी की। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जांच कार्य किया।
जांच में पाया गया कि अमेरिकी सैनिकों ने करीब 100 कुरान और पवित्र साहित्य जलाए कि उन्हें लगा कि इस साहित्य का इस्तेमाल बंदी बनाए गए लोग हिंसक चरमपंथ के लिए करते हैं।
आर्मी ब्रिगेडियर जनरल ब्रायन जी वाटसन की रिपोर्ट में पाया गया कि अमेरिकी सैनिकों ने मुस्लिमों के पवित्र ग्रंथ और अन्य धार्मिक सामग्रियों के साथ छेड़छाड़ की।
रिपोर्ट में रेखांकित किया गया कि ‘त्रासदीपूर्ण घटना’ ‘अधिकारियों और कमांडों’ के बीच संवाद की कमी के कारण हुई हालांकि जांच में इस बात को ‘खारिज’ किया गया कि घटना को कुरान का अपमान करने की विद्वेषपूर्ण मंशा के साथ अंजाम दिया गया। इसमें कनिष्ठ और मध्य स्तर के अधिकारियों पर ‘सही रास्ता’ चुनने के बजाए ‘आसान रास्ता’ चुनने का आरोप लगाया गया।
रिपोर्ट में कुरान और अन्य धार्मिक सामग्रियों की महत्ता और इसके इस्तेमाल को लेकर सैनिकों में अविश्वास पाया गया और इसे घटना के पीछे की मुख्य वजहों में से एक बताया गया।
इस घटना के बाद अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसके बाद राष्ट्रपति बराक ओबामा को माफी मांगनी पड़ी। अमेरिकी मध्य कमान ने सोमवार को जांच की रिपोर्ट जारी की। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जांच कार्य किया।
जांच में पाया गया कि अमेरिकी सैनिकों ने करीब 100 कुरान और पवित्र साहित्य जलाए कि उन्हें लगा कि इस साहित्य का इस्तेमाल बंदी बनाए गए लोग हिंसक चरमपंथ के लिए करते हैं।
आर्मी ब्रिगेडियर जनरल ब्रायन जी वाटसन की रिपोर्ट में पाया गया कि अमेरिकी सैनिकों ने मुस्लिमों के पवित्र ग्रंथ और अन्य धार्मिक सामग्रियों के साथ छेड़छाड़ की।
रिपोर्ट में रेखांकित किया गया कि ‘त्रासदीपूर्ण घटना’ ‘अधिकारियों और कमांडों’ के बीच संवाद की कमी के कारण हुई हालांकि जांच में इस बात को ‘खारिज’ किया गया कि घटना को कुरान का अपमान करने की विद्वेषपूर्ण मंशा के साथ अंजाम दिया गया। इसमें कनिष्ठ और मध्य स्तर के अधिकारियों पर ‘सही रास्ता’ चुनने के बजाए ‘आसान रास्ता’ चुनने का आरोप लगाया गया।
रिपोर्ट में कुरान और अन्य धार्मिक सामग्रियों की महत्ता और इसके इस्तेमाल को लेकर सैनिकों में अविश्वास पाया गया और इसे घटना के पीछे की मुख्य वजहों में से एक बताया गया।
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