क्वाड समिट में पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता कई मायनों में बेहद खास रही. इस वार्ता से एक बात यह निकल कर आई है कि बाइडेन ने भारत के उस दावे का समर्थन किया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का रिफॉर्म होना चाहिए. भारत कहता रहा है कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए इस ग्रुप में बदलाव की जरूरत है.
प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता का मुद्दा अमेरिका के सामने उठाया. बाइडेन से मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि यूएनएससी का गठन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुआ था. तब की वैश्विक परिस्थितियां बेहद अलग थीं. उन परिस्थितियां को ध्यान में रखकर ही देशों को इसमें शामिल किया गया था. लेकिन अब काफी लंबा समय गुजर गया है. मौजूदा दौर की वैश्विक स्थिति बेहद जुदा है. ऐसे में यूएनएससी का रिफॉर्म समय की मांग है.
अमेरिका ने भारत की यूएनएससी में स्थायी सीट का समर्थन किया है. जो बाइडेन ने इस बात को माना कि भारत को इस समूह में स्थान मिलना चाहिए. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि यहां क्वाड शिखर सम्मेलन के इतर मिले दोनों नेताओं ने आपसी हित के क्षेत्रों में द्विपक्षीय साझेदारी को और गहरा करने के तरीकों पर चर्चा की.
भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका ने 'विलमिंगटन घोषणा' में यूएनएससी को अधिक प्रतिनिधि, समावेशी, पारदर्शी, कुशल, प्रभावी, लोकतांत्रिक और जवाबदेह बनाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि यूएनएससी में अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन का प्रतिनिधित्व होना चाहिए.
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संयुक्त घोषणा में कहा गया है, 'हम अपने वैश्विक और क्षेत्रीय भागीदारों के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय संस्थानों और पहलों का समर्थन करना जारी रखते हैं जो वैश्विक शांति, समृद्धि और सतत विकास को रेखांकित करते हैं. हम संयुक्त राष्ट्र चार्टर और संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के तीन स्तंभों के लिए अपने अटूट समर्थन को दोहराते हैं.. क्वाड राष्ट्रों ने पुष्टि की कि भागीदारों के परामर्श से, वे संयुक्त राष्ट्र, उसके चार्टर और उसकी एजेंसियों की अखंडता को एकतरफा रूप से कमजोर करने के प्रयासों को संबोधित करने के लिए सामूहिक रूप से काम करेंगे.