
वॉशिंगटन:
अमेरिकी कांग्रेस के 25 सदस्यों ने विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन से मांग की है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को वीजा देने पर लगी रोक बरकरार रखी जाए क्योंकि उनकी सरकार ने 2002 की हिंसा के पीड़ितों की न्याय दिलाने की दिशा में उचित प्रयास नहीं किया है।
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के 25 सदस्यों ने हिलेरी को लिखे एक पत्र में कहा, ‘‘श्री मोदी उच्च पद (प्रधानमंत्री) के संभावित उम्मीदवार बनने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। ऐसे में हमारा मानना है कि वीजा से जुड़े उनके आवेदन को लेकर नीति में बदलाव से आगे की जांच में बाधा डालने के लिए मोदी एवं उनकी सरकार को प्रोत्साहित करेगी। इससे अभियोजन प्रक्रिया भी प्रभावित होगी जो अभी पूरी नहीं हुई है।’’
बीते 29 नवंबर को लिखा गया यह पत्र सोमवार को प्रेस के लिए जारी किया गया। रिपलिब्कन पार्टी के सांसद जो पिट्स और फ्रैंक वोल्स ने कैपिटल हिल में 2002 के गुजरात दंगा पीड़ितों के परिवारों के सदस्यों के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन की पूर्व संध्या पर यह पत्र जारी किया।
अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों ने पत्र में लिखा है, ‘‘भारत एक सफल लोकतंत्र है जो ऊंचे स्तर के नेतृत्व और प्रगति की आकांक्षा रखता है। यह परेशान करने वाली बात है कि गुजरात हमलों से उनका नाम जुड़ा होने के बावजूद भारत में कुछ पक्ष मोदी को बढ़ावा दे रहे हैं। अमेरिका आने की मंजूरी मिलने से उन्हें 2002 के मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में अपनी जिम्मेदारी से बच निकलने में और मदद मिलेगी।’’
पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख अमेरिकी सांसदों में जॉन कोनयेर्स, ट्रेंट फै्रंक्स, जैम्स मोरान, माइकल होंडा, बिल पासक्रेल, बारबरा ली, एडवर्ड मार्के, जिम जॉर्डन, डैन बर्टन, माइकल कापुआनो और डॉ लैबर्न शामिल हैं।
सांसदों ने कहा कि बुश प्रशासन ने मोदी को वीजा देने पर ‘‘सही रोक’’ लगाई थी। मोदी इस समय प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी संभावित उम्मीदवारी के लिए समर्थन चाह रहे हैं, इसी के तहत वह विदेशी राष्ट्रों के नेताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं, ‘‘हमें लगता है’’ कि वह अमेरिका आने के लिए फिर से अनुरोध कर सकते हैं।
अमेरिकी सांसदों ने कहा, ‘‘हम अमेरिकी सरकार से सम्मान के साथ अनुरोध करते हैं कि वह मोदी को अमेरिका में दाखिल नहीं होने दें क्योंकि कई खबरों के मुताबिक उस जघन्य हिंसा में उनके सम्मिलित होने की बात की गई है।’’
सांसदों ने कहा, ‘‘आप जानते हैं कि नरेन्द्र मोदी, 2002 के दंगों के समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे, जिनमें बहुत सी महिलाओं से बलात्कार हुआ, घर तोड़ दिए गए, लोगों के व्यापार को नुकसान पहुंचाया गया और 2,000 जानें गईं।’’
पत्र में आरोप लगाया गया, ‘‘गैरसरकारी संगठनों ने मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार पर दंगों के साजिशकर्ताओं को मदद करने के आरोप लगाए हैं। दंगों की जांच के बाद ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ ने कहा था कि ‘मुस्लिमों (और दूसरे धार्मिक अल्पसंख्यकों) पर हमलों में राज्य की भाजपा सरकार के अधिकारियों और पुलिस ने मदद की थी’’।
सांसदों ने कहा, ‘‘चूंकि इन मामलों का अभी तक निपटारा नहीं हुआ है और पीड़ितों को पूरी तरह न्याय नहीं मिल पाया है, हम आपसे अनुरोध करते हैं कि मोदी को वीजा पर लगी रोक जारी रखी जाए। अमेरिका आने की मंजूरी मिलने से उन्हें 2002 के मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में अपनी जिम्मेदारी से बच निकलने में और मदद मिलेगी।’’
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के 25 सदस्यों ने हिलेरी को लिखे एक पत्र में कहा, ‘‘श्री मोदी उच्च पद (प्रधानमंत्री) के संभावित उम्मीदवार बनने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। ऐसे में हमारा मानना है कि वीजा से जुड़े उनके आवेदन को लेकर नीति में बदलाव से आगे की जांच में बाधा डालने के लिए मोदी एवं उनकी सरकार को प्रोत्साहित करेगी। इससे अभियोजन प्रक्रिया भी प्रभावित होगी जो अभी पूरी नहीं हुई है।’’
बीते 29 नवंबर को लिखा गया यह पत्र सोमवार को प्रेस के लिए जारी किया गया। रिपलिब्कन पार्टी के सांसद जो पिट्स और फ्रैंक वोल्स ने कैपिटल हिल में 2002 के गुजरात दंगा पीड़ितों के परिवारों के सदस्यों के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन की पूर्व संध्या पर यह पत्र जारी किया।
अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों ने पत्र में लिखा है, ‘‘भारत एक सफल लोकतंत्र है जो ऊंचे स्तर के नेतृत्व और प्रगति की आकांक्षा रखता है। यह परेशान करने वाली बात है कि गुजरात हमलों से उनका नाम जुड़ा होने के बावजूद भारत में कुछ पक्ष मोदी को बढ़ावा दे रहे हैं। अमेरिका आने की मंजूरी मिलने से उन्हें 2002 के मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में अपनी जिम्मेदारी से बच निकलने में और मदद मिलेगी।’’
पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख अमेरिकी सांसदों में जॉन कोनयेर्स, ट्रेंट फै्रंक्स, जैम्स मोरान, माइकल होंडा, बिल पासक्रेल, बारबरा ली, एडवर्ड मार्के, जिम जॉर्डन, डैन बर्टन, माइकल कापुआनो और डॉ लैबर्न शामिल हैं।
सांसदों ने कहा कि बुश प्रशासन ने मोदी को वीजा देने पर ‘‘सही रोक’’ लगाई थी। मोदी इस समय प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी संभावित उम्मीदवारी के लिए समर्थन चाह रहे हैं, इसी के तहत वह विदेशी राष्ट्रों के नेताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं, ‘‘हमें लगता है’’ कि वह अमेरिका आने के लिए फिर से अनुरोध कर सकते हैं।
अमेरिकी सांसदों ने कहा, ‘‘हम अमेरिकी सरकार से सम्मान के साथ अनुरोध करते हैं कि वह मोदी को अमेरिका में दाखिल नहीं होने दें क्योंकि कई खबरों के मुताबिक उस जघन्य हिंसा में उनके सम्मिलित होने की बात की गई है।’’
सांसदों ने कहा, ‘‘आप जानते हैं कि नरेन्द्र मोदी, 2002 के दंगों के समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे, जिनमें बहुत सी महिलाओं से बलात्कार हुआ, घर तोड़ दिए गए, लोगों के व्यापार को नुकसान पहुंचाया गया और 2,000 जानें गईं।’’
पत्र में आरोप लगाया गया, ‘‘गैरसरकारी संगठनों ने मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार पर दंगों के साजिशकर्ताओं को मदद करने के आरोप लगाए हैं। दंगों की जांच के बाद ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ ने कहा था कि ‘मुस्लिमों (और दूसरे धार्मिक अल्पसंख्यकों) पर हमलों में राज्य की भाजपा सरकार के अधिकारियों और पुलिस ने मदद की थी’’।
सांसदों ने कहा, ‘‘चूंकि इन मामलों का अभी तक निपटारा नहीं हुआ है और पीड़ितों को पूरी तरह न्याय नहीं मिल पाया है, हम आपसे अनुरोध करते हैं कि मोदी को वीजा पर लगी रोक जारी रखी जाए। अमेरिका आने की मंजूरी मिलने से उन्हें 2002 के मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में अपनी जिम्मेदारी से बच निकलने में और मदद मिलेगी।’’
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