
'चीन सरकार ने इस साल जून में गलवान घटना की योजना बनाई थी. चीन ने अपने पड़ोसियों के खिलाफ जबर्दस्त बहुपक्षीय अभियान छेड़ रखा है इसके तहत उसने जापान से लेकर भारत जैसे देशों के साथ सैन्य और अर्धसैनिक बलों के साथ गतिरोध की स्थिति निर्मित कर रखी है.' यह बात अमेरिका के एक शीर्ष पैनल ने बुधवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कही है. गालवान संघर्श के बाद यूएसए-चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्युरिटी रिव्यू कमीशन (USCC) ने अपनी रिपोर्ट '2020 रिपोर्ट टु कांग्रेस ऑफ द यूएस-चाइना इकोनॉमिक रिव्यू कमीशन' में कहा है, 'कुछ सबूत बताते हैं कि चीनी सरकार ने इस घटना (गलवान) की योजना रची.' गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में हुए संघर्ष में 20 भारतीय सैनिकों को जान गंवानी पड़ी थी. जानकारी के अनुसार, इस संघर्ष में चीन को भी खासा नुकसान उठाना पड़ा था. मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार गलवान घाटी में हुए संघर्ष में चीन के 40 से अधिक सैनिकों की या तो मौत हुई थी या गंभीर रूप से घायल हुए थे.
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रिपोर्ट कहती है, 'चीन ने पड़ोसी देशों के खिलाफ अपने बहुपक्षीय अभियान को गति दी है, इसके अंतर्गत वह जापान, भारत और दक्षिणपूर्व एशिया के अन्य देशों के खिलाफ सैन्य और अर्धसैनिक बलों के स्तर पर अड़चन पैदा कर रहा है. चीन के रक्षा मंत्री की ओर से अपने बाहरी इलाकों की रक्षा के लिए सैन्य बलों के इस्तेमाल की अपील के कुछ ही समय बाद भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच जून माह में हिंसक संघर्ष हुआ था. इसमें 1975 के बाद पहली बार इन दोनों देशों की ओर किसी की जान गई थी.'
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ब्रूकिंग इंस्टीट्यूशन की एक सीनियर फैलो तन्वी मदान के हवाले से यह रिपोर्ट कहती है, 'यदि इस कार्रवाई के पीछे चीन का लक्ष्य क्षेत्र पर कब्जा करना होता तो संभवत: वह इसमें सफल हो जाता.' यदि बीजिंग चाहता कि भारत एलएसी के पास इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण नहीं करे या फिर अमेरिका के साथ जुड़ने के लिए चेतावनी उसे देता. बहरहाल, चीन के यह कदम यदि पूरी तरह प्रतिकूल नहीं तो अप्रभावी साबित हुए हैं.
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