भारत के मिशन चंद्रयान-2 को लेकर अमेरिका ने कहा है 'यह भारत के लिए एक बड़ा कदम है.' अमेरिका का यह बयान तब आया है, जब चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने के भारत के साहसिक कदम को शनिवार तड़के उस वक्त झटका लगा जब चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम' से चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर संपर्क टूट गया. देर रात ट्वीट करके दक्षिण और मध्य एशिया के लिए कार्यवाहक सहायक सचिव एलाइस जी वेल्स ने कहा, 'हम इसरो को चंद्रयान 2 पर उनके अविश्वसनीय प्रयासों के लिए बधाई देते हैं. यह मिशन भारत के लिए एक बड़ा कदम है और वह वैज्ञानिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए मूल्यवान डेटा का उत्पादन जारी रखेगा.'
साथ ही अमेरिकी राजनयिक ने कहा, 'हमें इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत अपनी अंतरिक्ष आकांक्षाओं को हासिल करेगा.' उन्होंने यह ट्वीट नासा के उस पोस्ट के साथ किया है, जिसमें कहा गया है, 'अंतरिक्ष कठिन है. हम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उनके #चंद्रयान 2 मिशन को उतारने के लिए इसरो के प्रयास की सराहना करते हैं. आपने हमें अपनी यात्रा से प्रेरित किया है और भविष्य के अवसरों का एक साथ पता लगाने के लिए तत्पर हैं.'
We congratulate @ISRO on their incredible efforts on #Chandrayaan2. The mission is a huge step forward for India and will continue to produce valuable data to fuel scientific advancements. We have no doubt that India will achieve its space aspirations. AGW https://t.co/r1TAjvRl47
— State_SCA (@State_SCA) September 7, 2019
बता दें, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मुताबिक लैंडर ‘विक्रम' चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की तरफ बढ़ रहा था और उसकी सतह को छूने से महज कुछ सेकंड ही दूर था तभी 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई रह जाने पर उसका जमीन से संपर्क टूट गया. करीब एक दशक पहले इस चंद्रयान-2 मिशन की परिकल्पना की गई थी और 978 करोड़ के इस अभियान के तहत चंद्रमा के अनछुए दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला भारत पहला देश होता.
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लैंडर विक्रम का वजन 1471 किलोग्राम था और इसे नियंत्रित तरीके से नीचे लाने की प्रक्रिया ‘रफ ब्रेक्रिंग' के साथ शुरू हुई और इसने 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई रह जाने तक ‘फाइन ब्रेक्रिंग' के चरण को सही तरीके से पूरा किया जिसे 'जटिल और भयावह' माना जाता है, लेकिन यहां के बाद एक बयान ने मिशन कंट्रोल सेंटर में मौजूद चेहरों पर निराशा की लकीर खींच दी कि ‘विक्रम' के साथ संपर्क टूट गया है. चंद्रयान-2 ने 22 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद 47 दिनों तक विभिन्न प्रक्रियाओं को सफलतापूर्वक पूरा करने के साथ करीब चार लाख किलोमीटर की दूरी तय की. ‘विक्रम' अगर ऐतिहासिक लैंडिंग में सफल हो जाता तो भारत चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करा चुके अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की कतार में शामिल हो जाता. 2379 किलोग्राम ऑर्बिटर के मिशन का जीवन काल एक साल है. यह 100 किलोमीटर की कक्षा में दूर संवेदी प्रेक्षण करेगा.
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