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अमेरिका में जन्‍मसिद्ध नागरिकता पर ट्रंप को झटका, कोर्ट बोला- अधिकार छीनना संविधान के खिलाफ

व्हाइट हाउस ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट की हालिया गाइडलाइन के खिलाफ बताया. प्रेस सचिव हैरिसन फील्ड्स ने कहा कि ट्रंप प्रशासन इस फैसले को चुनौती देगा.

अमेरिका में जन्‍मसिद्ध नागरिकता पर ट्रंप को झटका, कोर्ट बोला- अधिकार छीनना संविधान के खिलाफ
  • फेडरल कोर्ट ने ट्रंप के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें अस्थायी वीजा पर बच्चों को जन्मसिद्ध नागरिकता से वंचित किया गया था.
  • जज जोसेफ लैप्लांते ने कहा कि यह आदेश अमेरिका के 14वें संविधान संशोधन और दशकों से चली आ रही नागरिकता नीति के खिलाफ है.
  • ये फैसला क्लास एक्शन मुकदमे के तहत लिया गया है और देशभर में 20 फरवरी के बाद जन्मे सभी प्रभावित बच्चों पर लागू होगा.
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वॉशिंगटन:

अमेरिका में जन्‍मसिद्ध नागरिकता (Birthright Citizenship) के मुद्दे पर ट्रंप प्रशासन को कोर्ट से झटका लगा है. यहां न्यू हैम्पशायर की एक फेडरल कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस कार्यकारी आदेश पर पूरे देश में रोक लगा दी है, जिसमें अवैध या अस्थायी वीजा पर अमेरिका में रह रहे लोगों के बच्चों को जन्मसिद्ध नागरिकता देने से इनकार किया गया था. CNN की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये फैसला अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज जोसेफ लैप्लांते ने गुरुवार को सुनाया. उन्होंने साफ कहा कि यह आदेश अमेरिका की लंबे समय से चली आ रही नागरिकता नीति के खिलाफ है और इससे बच्चों को गंभीर नुकसान हो सकता है.

ट्रंप ने राष्‍ट्रपति बनते ही जारी किए थे आदेश 

20 जनवरी 2025 को ट्रंप ने राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले दिन जो आदेश जारी किया, उसमें कहा गया कि अमेरिका में जन्म लेने वाले उन बच्चों को नागरिकता नहीं दी जाएगी जिनके माता-पिता अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे हैं या केवल अस्थायी वीजा पर आए हैं. इसके खिलाफ अमेरिकी सिविल लिबर्टीज यूनियन (ACLU) और अन्य संगठनों ने अदालत में चुनौती दी थी.

फेडरल कोर्ट ने कहा- ये संविधान के खिलाफ 

जज लैप्लांते ने कहा कि यह आदेश 14वें संविधान संशोधन और एक सदी से चले आ रहे फैसलों के खिलाफ है. उन्होंने इसे 'नागरिकता से वंचित करने वाला और अपूरणीय क्षति' पहुंचाने वाला कदम बताया.

उन्होंने स्पष्ट किया कि यह फैसला केवल कुछ एनजीओ से जुड़े लोगों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि देशभर में उन सभी बच्चों पर लागू होगा जो 20 फरवरी के बाद जन्मे हैं और इस आदेश से प्रभावित हो सकते थे.

जज ने यह भी कहा कि यह फैसला क्लास एक्शन मुकदमे के जरिए लिया गया है, यानी इसमें प्रभावित बच्चों का एक समूह बनाकर उन्हें राहत दी गई है. हालांकि, उन्होंने इस समूह में माता-पिता को शामिल करने से इनकार किया क्योंकि उनके कानूनी हालात अलग-अलग हो सकते हैं.

ट्रंप प्रशासन की क्‍या है प्रतिक्रिया?

व्हाइट हाउस ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट की हालिया गाइडलाइन के खिलाफ बताया. प्रेस सचिव हैरिसन फील्ड्स ने कहा कि यह फैसला क्लास एक्शन प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल है. ट्रंप प्रशासन इस फैसले को चुनौती देगा.

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की भूमिका

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों द्वारा दिए जाने वाले 'नैशनल इनजंक्शन' (देशव्यापी रोक) पर सवाल उठाए थे, लेकिन क्लास एक्शन मुकदमों को संविधान विरोधी आदेशों पर रोक लगाने का वैध रास्ता माना था.

जज लैप्लांते ने भी इसी रास्ते का इस्तेमाल करते हुए यह फैसला दिया. उन्होंने कहा, "यह क्लास एक्शन मामला है, न कि सीधा नैशनल इनजंक्शन. और सुप्रीम कोर्ट ने इसे ही बेहतर रास्ता माना है."

मौजूदा फैसले ने ट्रंप के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जो हजारों बच्चों को अमेरिका की नागरिकता से वंचित कर सकता था. हालांकि, ये मामला अंततः सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है जहां ये तय होगा कि क्लास एक्शन के जरिए दी गई यह राहत कानूनन सही है या नहीं.

फिलहाल ACLU के वकील कोडी वोफसी ने इसे 'बड़ी जीत' बताया और कहा कि यह संविधान में दिए गए अधिकारों की रक्षा करता है

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