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This Article is From Sep 29, 2021

अमेरिका के शीर्ष सैन्य अधिकारी ने अफगान युद्व को ‘रणनीतिक विफलता’ बताया

मध्य कमान के प्रमुख और अमेरिकी जंग के अंतिम महीनों की देखरेख करने वाले जनरल फ्रैंक मैकेंज़ी ने कहा कि वह मिले के मूल्यांकन से सहमत हैं. उन्होंने भी यह बताने से इनकार कर दिया कि उन्होंने बाइडन को क्या सलाह दी थी.

अमेरिका के शीर्ष सैन्य अधिकारी ने अफगान युद्व को ‘रणनीतिक विफलता’ बताया
‘ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ’ के प्रमुख जनरल मार्क मिले (फाइल फोटो)
वाशिंगटन:

अफगानिस्तान से सैनिकों को वापस बुलाने को लेकर कांग्रेस (संसद) में पहली गवाही में अमेरिका के शीर्ष सैन्य अधिकारी ने 20 बरस की जंग को ‘रणनीतिक विफलता' बताया और कहा कि उनका मानना है कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे को रोकने के लिए अमेरिका को कुछ हजार सैनिक वहां तैनात रखने चाहिए थे. ‘ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ' के प्रमुख जनरल मार्क मिले ने यह बताने से इनकार कर दिया कि उन्होंने राष्ट्रपति जो बाइडन को तब क्या सलाह दी थी जब वह अफगानिस्तान से सैनिकों को वापस बुलाने या न बुलाने पर विचार कर रहे थे.

उन्होंने सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति से कहा कि यह उनकी निजी राय है कि काबुल में सरकार को गिरने और तालिबान के शासन को वापस आने से रोकने के लिए अफगानिस्तान में कम से कम 2500 सैनिकों को तैनात रखने की जरूरत थी. मिले ने उस युद्ध को ‘रणनीतिक विफलता' बताया जिसमें 2461 अमेरिकियों की जान गई है. उन्होंने 15 अगस्त को अफगानिस्तान की राजधानी पर तालिबान के कब्जे को लेकर कहा, “ काबुल में दुश्मन का शासन है.” उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका की सबसे बड़ी नाकामी शायद यह रही कि अफगानिस्तान के बलों को अमेरिका के सैनिकों और प्रौद्योगिकी पर अधिक निर्भर रखा गया.

मध्य कमान के प्रमुख और अमेरिकी जंग के अंतिम महीनों की देखरेख करने वाले जनरल फ्रैंक मैकेंज़ी ने कहा कि वह मिले के मूल्यांकन से सहमत हैं. उन्होंने भी यह बताने से इनकार कर दिया कि उन्होंने बाइडन को क्या सलाह दी थी. सीनेटर टॉम कॉटन ने मिले से पूछा कि जब उनकी सलाह नहीं मानी गई तो उन्होंने इस्तीफा क्यों नहीं दिया तो मिले ने कहा, ‘‘ यह जरूरी तो नहीं कि राष्ट्रपति उस सलाह से सहमत हों. यह भी जरूरी नहीं है कि वह इसलिए फैसला करें कि हमने जनरल के तौर पर उन्हें सलाह दी है. और सैन्य अधिकारी के तौर पर सिर्फ इसलिए इस्तीफा देना कि मेरी सलाह नहीं मानी गई यह राजनीतिक अवज्ञा का अविश्वसनीय कार्य होगा.”

समिति के सामने रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भी बयान दिया है. उन्होंने सेना द्वारा विमानों के जरिये लोगों को निकाले जाने के अभियान का बचाव किया. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से भविष्य के खतरों से निपटना कठिन तो होगा लेकिन यह पूरी तरह से संभव है. उन्होंने समिति को बताया, ‘‘हमने एक राज्य बनाने में मदद की, लेकिन हम एक राष्ट्र नहीं बना सके.'' उन्होंने कहा, ‘‘तथ्य यह है कि जिस अफगान सेना को हमने और हमारे सहयोगियों ने प्रशिक्षित किया था, उसने आसानी से हथियार डाल दिये. इसने हम सभी को आश्चर्यचकित कर दिया.''

ऑस्टिन ने हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लोगों को निकालने के 14 अगस्त से शुरू हुए अभियान में कमियों को स्वीकार किया. हालांकि उन्होंने कहा कि विमान सेवा के जरिये लोगों को निकालना एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी जिसने तालिबान शासन के तहत 1,24,000 लोगों को निकाल लिया. उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी ने अफगानिस्तानी नागरिकों के भयभीत होकर रनवे पर और हमारें विमानों के पीछे भागने की तस्वीरों को देखा है. हवाई अड्डे के बाहर असमंजस के मंजर हम सभी को याद हैं. लेकिन 48 घंटों के भीतर, हमारे सैनिकों ने व्यवस्था बहाल कर दी थी.'' रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों ने राष्ट्रपति जो बाइडन के 30 अगस्त तक सभी सैनिकों को अफगानिस्तान से बाहर निकालने के फैसले पर अपने हमलों को तेज कर दिया है. वे काबुल में आत्मघाती बम विस्फोट के बारे में अधिक जानकारी की मांग कर रहे हैं, जिसमें वापसी के अंतिम दिनों में 13 अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई थी.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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