प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
वैज्ञानिक एक ऐसे पतले उपकरण को विकसित करने में जुटे हैं, जिसकी मदद से रेडियो आवृत्ति सीमा के संकेतों को प्राप्त और प्रेषित किया जा सकता है. इसकी मदद से इंसानों के सुनने की क्षमता से कई गुना का इजाफा होगा. खास बात यह है कि अमेरिका के केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित यह‘ड्रमहेड’ उपकरण आकार में 1000 अरब गुना छोटा है और इंसानों के कान के परदे से 100,000 हजार गुना पतला है. अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक इस प्रगति से अगली पीढ़ी के संवेदी उपकरणों को तैयार करने में आसानी होगी. ये उपकरण आकार में छोटे होंगे और इनकी पहचान और ट्यूनिंग रेंज ज्यादा बेहतर होगी.
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इंसानों के कान के परदे का गतिक परास ( डायनेमिक रेंज) 10 हर्ट्ज और 10 किलोहर्ट्ज के बीच 60 से 100 डेसिबल के बीच होता है. वहीं बिल्लियों और बेलुगा व्हेल के गतिक परास की सीमा उच्च आवृत्ति वाले बैंड पर अधिक होती है. केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी के असिटेंट प्रोफेसर फिलिप फेंग और उनकी टीम द्वारा विकसित उपकरण अर्ध- चालक क्रिस्टलकी परतों से बना हुआ है. इस अनुसंधान का प्रकाशन‘साइंस एडवांसेज’ जर्नल में किया गया है. (इनपुट भाषा से)
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