Sri Lanka में रानिल विक्रमसिंघे राष्ट्रपति पद की शपथ लेते हुए
राजपक्षे की श्रीलंका पोदुजन पेरामुना (SLPP) पार्टी के समर्थन से विक्रमसिंघे (Wickramshinghe) की जीत सत्ता पर राजपक्षे परिवार की पकड़़ को दिखाती है जबकि गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) , पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajapaksa) और पूर्व वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे (Basil Rajapaksa) ने सरकारी विरोधी प्रदर्शनों के बाद इस्तीफे दे दिए थे. गोटबाया के राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था. वह संविधान के अनुसार संसद द्वारा निर्वाचित श्रीलंका के पहले राष्ट्रपति हैं.
रानिल विक्रमसिंघे की 10 बड़ी चुनौतियां
- रानिल विक्रमसिंघे ( Ranil Wickramshinghe ) को बुधवार को देश का नया राष्ट्रपति (New President) निर्वाचित किया गया. अब नकदी के संकट से जूझ रहे इस द्वीपीय देश की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ चल रही वार्ता को अंजाम तक पहुंचाने की ज़िम्मेदारी रानिल विक्रमसिंघे पर आ गई है.
- विक्रमसिंघे पर देश को आर्थिक बदहाली से बाहर निकालने और महीनों से चल रहे प्रदर्शनों के बाद कानून-व्यवस्था बहाल करने की जिम्मेदारी है.
- विक्रमसिंघे की जीत से एक बार फिर स्थिति बिगड़ सकती है क्योंकि सरकार विरोधी कई प्रदर्शनकारी उन्हें पूर्ववर्ती राजपक्षे सरकार का करीबी मानते हैं.
- श्रीलंका को अपनी 2.2 करोड़ की आबादी की मूल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अगले महीनों में करीब पांच अरब डॉलर की आवश्यकता है.
- विक्रमसिंघे अब गोटबाया राजपक्षे के बाकी बचे कार्यकाल तक राष्ट्रपति पद पर बने रहेंगे, जो नवंबर 2024 में खत्म होगा. ऐसे में रानिल विक्रमसिंघे के पास राष्ट्रपति के तौर पर अपने को सफल साबित करने का बेहद कम समय होगा.
- रानिल विक्रमसिंघे राजपक्षे परिवार के दबदबे वाली पार्टी के समर्थन से राष्ट्रपति बने हैं. उनके ऊपर राजपक्षे परिवार के खिलाफ हुए मुकदमों में ढ़िलाई बरतने का आरोप लग सकता है.
- रानिल विक्रमसिंघे के सामने नाराज जनता को शांत करने के लिए राजपक्षे परिवार से स्वतंत्र होकर काम करने की चुनौती होगी.
- रानिल विक्रमसिंघे राष्ट्रपति पद पर बैठकर अगर राजपक्षे परिवार की नीतियों से अलग चलते हैं तो इससे उनकी पार्टी के नाराज़ होने का खतरा बढ़ जाएगा जिसके समर्थन से वो राष्ट्रपति बने.
- राजपक्षे परिवार के राजनैतिक और आर्थिक कुप्रबंधन के कारण देश कंगाली तक पहुंचा. ऐसे में राजपक्षे के सामने बिना राजपक्षे परिवार की कठपुतली बने देश को विकास की रास्ते ले जाने की चुनौती होगी.
- श्रीलंका इस समय बड़ी अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है, ऐसे समय जब गोटाबाया और महिंदा राजपक्षे जैसे नेताओं को अपने कार्यकाल से पहले इस्तीफा देना पड़ गया, रानिल विक्रमसिंघे के लिए कार्यकाल समाप्त होने तक पद पर बने रहना एक बड़ी चुनौती होगी.