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4.6 वर्ग किलोमीटर जमीन के लिए आखिर क्यों लड़ रहे है दो देश? थाईलैंड और कंबोडिया 'जंग' की वजह तो जान लीजिए

दोनों देशों के बीच सैन्य झड़प बुधवार को एक बारूदी सुरंग विस्फोट के बाद हुई थी. जिसमें थाईलैंड के पांच सैनिक घायल हो गए थे. इस घटना के बाद दोनों पक्षों ने अपने राजदूतों को निष्कासित कर दिया था. जिससे राजनयिक तनाव काफी बढ़ गया.

4.6 वर्ग किलोमीटर जमीन के लिए आखिर क्यों लड़ रहे है दो देश? थाईलैंड और कंबोडिया 'जंग' की वजह तो जान लीजिए
दोनों देशों के बीच प्रीह विहियर मंदिर के आसपास के क्षेत्र को लेकर काफी सालों से विवाद चल रहा है.

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा पर तनाव लगातार बढ़ रहा है. गुरुवार को शुरू हुए सैन्य संघर्ष में अब तक थाईलैंड के 14 नागरिक मारे गए हैं, जबकि 46 अन्य लोग घायल हैं. इस संघर्ष ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ाई दी है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और बातचीत के जरिए किसी भी मुद्दे का समाधान करने का आग्रह किया. दोनों देशों के बीच चल रहा ये संघर्ष प्रीह विहियर मंदिर को लेकर है. इस मंदिर के पास की सीमा को लेकर दोनों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है.

कहा जाता है कि थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर डोंगरेक पहाड़ी के शिखर पर स्थित प्रीह विहियर मंदिर को खमेर शासकों द्वारा 11वीं सदी में बनवाया गया था. ये मंदिर ऊंचाई पर और यहां से पूरा क्षेत्र अच्छे से नजर आता है. जिससे चलते ये क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण माना जाता है और दोनों देश इसपर अपना दावा ठोकते हैं.

प्रीह विहियर मंदिर का इतिहास

एक दौर में भारत की छाप कंबोडिया में भी देखने को मिली थी. दोनों देशों के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध काफी मजबूत हुआ करते थे. कंबोडिया में भारतीय संस्कृति का बहुत ज्यादा प्रभाव था. यहां पर ही अंकोरवाट मंदिर भी है जो कि भगवान श्री विष्णु को समर्पित है. वहीं बात की जाए प्रीह विहियर शिव मंदिर को इसका निर्माण खमेर राजा ने करवाया था और उस काल में मंदिर का अच्छे से रखरखाव होता था. लेकिन खमेर शासकों का राज खत्म होते ही सबकुछ बदल गया.  कंबोडिया में हिंदू शासकों का शासनकाल समाप्त होते ही सिर्फ मंदिर के अवशेष ही बचे हैं.

कंबोडिया और थाईलैंड एक दूसरे से कुल 817 किलोमीटर की भूमि साझा करते हैं. सीमा के आसपास के कई क्षेत्रों पर दोनों देश अपना दावा करते हैं. वहीं साल 1863 से 1953 तक कंबोडिया पर फ्रांस का राज रहा था. फ्रांस ने यहां का मानचित्र जब बनाया था, तो उसमें इस मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा बताया था. लेकिन थाईलैंड ने इस मानचित्र का विरोध किया था. ये मामला 1959 में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में भी पहुंचा था.

महज 4.6 वर्ग किलोमीटर की जमीन पर विवाद

इस मामले में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का फैसला साल 1962 में आया था. ये फैसला कंबोडिया के पक्ष में था. फैसले में साफ कहा गया था कि प्रीह विहार मंदिर कंबोडियाई क्षेत्र में आता है. थाईलैंड ने उस समय फैसले को स्वीकार कर लिया था. लेकिन साफ किया था कि मंदिर के आसपास की सीमाएं अभी भी विवादित हैं. दोनों देश मंदिर के आसपास की 4.6 वर्ग किलोमीटर जमीन पर अपना दावा ठोकते हैं. थाईलैंड मंदिर को भी अपने देशा का हिस्सा बताता है.

UNESCO के अनुसार कंबोडिया के मैदान पर हावी पठार के किनारे पर स्थित, प्रीह विहार का मंदिर भगवान शिव को समर्पित है.

थाईलैंड-कंबोडिया के बीच फिर शुरू हुआ संघर्ष

गुरुवार को दोनों देशों के बीच फिर से सीमा विवाद शुरू हो गया. कंबोडिया के संस्कृति मंत्रालय के अनुसार "इस मंदिर को यूनेस्को की ओर से विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है और यह 'कंबोडियाई लोगों की ऐतिहासिक विरासत' है." रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल माली सोचेता ने कहा, "कंबोडिया के पास थाईलैंड के खतरों से अपने क्षेत्र की रक्षा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. उन्होंने कहा कि हमले "सैन्य ठिकानों पर केंद्रित थे, किसी अन्य स्थान पर नहीं."

वहीं थाईलैंड ने सभी भूमि सीमा चौकियों को सील कर दिया है और अपने नागरिकों को कंबोडिया छोड़ने की सलाह दी है. थाईलैंड की सभी 7 एयरलाइनों ने भी नागरिकों को वापस लाने में मदद की पेशकश की है. थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथम वेचायाचाई हालात की कमान संभाल रहे हैं और उन्होंने कंबोडिया को आगे किसी भी आक्रामक कदम के खिलाफ चेतावनी दी है.

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