काबुल:
अफगान तालिबान ने बेहद चौंकाने वाले घटनाक्रम में भारत की तारीफ करते हुए कहा है कि अफगानिस्तान में सैन्य दखल से जुड़े अमेरिका आह्वान और दबाव के सामने नहीं झुककर नई दिल्ली ने बेहद अच्छा काम किया है।
तालिबान ने एक बयान में कहा, ‘‘इस बात में कोई संदेह नहीं है कि भारत इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण देश है। वह अफगान लोगों की अकांक्षाओं, उनके विश्वास और आजादी के लिए उनकी चाहत से वाकिफ है। यह बिल्कुल फिजूल होगा कि भारत अमेरिकी खुशी के लिए खुद को मुश्किल में डाले।’’ अफगान तालिबान को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का करीबी और अफगानिस्तान में भारत के हितों पर निशाना साधने वाला माना जाता है। तालिबान ने ‘अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पनेटा को काबुल खाली हाथ भेजने के लिए’ भारत की सराहना की है।
पनेटा पिछले दिनों दिल्ली दौरे पर थे और इसके बाद काबुल गए थे। तालिबान ने कहा कि पनेटा ने अपने दिल्ली प्रवास के दौरान भारत को इस बात के लिए प्रोत्साहित करते रहे कि वह अफगानिस्तान में अधिक सक्रिय हो क्योंकि 2014 तक ज्यादातर विदेशी सैनिक वहां से चले जाएंगे, लेकिन वह :पनेटा: किसी तरह की कामयाबी पाने में नाकाम रहे।
मुल्ला उमर की अगुवाई वाले तालिबान ने कहा, ‘‘पनेटा तीन दिनों तक भारत में यह कोशिश करते रहे कि वह अपने सिर का बोझ उसके कंधों पर डाल दें ताकि वह अफगानिस्तान से बाहर निकलने का एक रास्ता पा सके।’’ उसने कहा, ‘‘कुछ विश्वसनीय मीडिया सूत्रों का कहना है कि भारतीय अधिकारियों ने अमेरिका की मांग को कोई तवज्जो नहीं दी और अपनी आपत्ति जताई क्योंकि भारतीय जानते हैं अथवा उन्हें जानना चाहिए कि अमेरिका खुद के लिए काम कर रहा है।’’ तालिबान के बयान में कहा गया है, ‘‘भारतीय अवाम और उसकी सरकार अफगानिस्तान में युद्ध को नाजायज महसूस करते हैं तथा वे अफगान राष्ट्र एवं उसकी मांगों से भी वाकिफ हैं।’’ अफगानिस्तान में गृहयुद्ध के समय भारत ने तालिबान के खिलाफ नाटो का समर्थन किया था, लेकिन 1996 में अफगान सत्ता पर इस आतंकी धड़े के काबिज होने के साथ ही भारत ने खुद को अलग कर लिया।
भारत अफगानिस्तान में विकास कार्यो पर बड़े पैमाने पर आर्थिक योगदान दे रहा है। दो अरब डॉलर की विकास परियोजनाएं भारत की मदद से चल रही हैं। तालिबान ने यह भी कहा कि वह अफगान सरजमीं से किसी को हानि पहुंचाने की इजाजत नहीं देगा।
तालिबान ने एक बयान में कहा, ‘‘इस बात में कोई संदेह नहीं है कि भारत इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण देश है। वह अफगान लोगों की अकांक्षाओं, उनके विश्वास और आजादी के लिए उनकी चाहत से वाकिफ है। यह बिल्कुल फिजूल होगा कि भारत अमेरिकी खुशी के लिए खुद को मुश्किल में डाले।’’ अफगान तालिबान को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का करीबी और अफगानिस्तान में भारत के हितों पर निशाना साधने वाला माना जाता है। तालिबान ने ‘अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पनेटा को काबुल खाली हाथ भेजने के लिए’ भारत की सराहना की है।
पनेटा पिछले दिनों दिल्ली दौरे पर थे और इसके बाद काबुल गए थे। तालिबान ने कहा कि पनेटा ने अपने दिल्ली प्रवास के दौरान भारत को इस बात के लिए प्रोत्साहित करते रहे कि वह अफगानिस्तान में अधिक सक्रिय हो क्योंकि 2014 तक ज्यादातर विदेशी सैनिक वहां से चले जाएंगे, लेकिन वह :पनेटा: किसी तरह की कामयाबी पाने में नाकाम रहे।
मुल्ला उमर की अगुवाई वाले तालिबान ने कहा, ‘‘पनेटा तीन दिनों तक भारत में यह कोशिश करते रहे कि वह अपने सिर का बोझ उसके कंधों पर डाल दें ताकि वह अफगानिस्तान से बाहर निकलने का एक रास्ता पा सके।’’ उसने कहा, ‘‘कुछ विश्वसनीय मीडिया सूत्रों का कहना है कि भारतीय अधिकारियों ने अमेरिका की मांग को कोई तवज्जो नहीं दी और अपनी आपत्ति जताई क्योंकि भारतीय जानते हैं अथवा उन्हें जानना चाहिए कि अमेरिका खुद के लिए काम कर रहा है।’’ तालिबान के बयान में कहा गया है, ‘‘भारतीय अवाम और उसकी सरकार अफगानिस्तान में युद्ध को नाजायज महसूस करते हैं तथा वे अफगान राष्ट्र एवं उसकी मांगों से भी वाकिफ हैं।’’ अफगानिस्तान में गृहयुद्ध के समय भारत ने तालिबान के खिलाफ नाटो का समर्थन किया था, लेकिन 1996 में अफगान सत्ता पर इस आतंकी धड़े के काबिज होने के साथ ही भारत ने खुद को अलग कर लिया।
भारत अफगानिस्तान में विकास कार्यो पर बड़े पैमाने पर आर्थिक योगदान दे रहा है। दो अरब डॉलर की विकास परियोजनाएं भारत की मदद से चल रही हैं। तालिबान ने यह भी कहा कि वह अफगान सरजमीं से किसी को हानि पहुंचाने की इजाजत नहीं देगा।
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