पाकिस्तान (Pakistan) की खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख फैज हमीद (ISI Chief Faiz Hameed) काबुल की ‘आपातकालीन‘ यात्रा पर पहुंचे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, हमीद तालिबान (Taliban) के अंदर पनप रहे एक आतंरिक संकट को हल करने के लिए गए हैं, जिसमें गुटों के बीच झड़प की रिपोर्ट सामने आई है और जिसमें समूह के सह- संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर घायल हो गए थे. अमेरिकन एंटरप्राइजेज इंस्टीट्यूट के रेजिडेंट स्काॅलर माइकल रुबिन ने अमेरिका स्थित 19फोर्टीफाइव में लिखा कि हमीद की आपातकालीन यात्रा यह साबित करती है कि तालिबान आईएसआई की कठपुतली हैं.
15 अगस्त को काबुल पर कब्जा करने वाला तालिबान कुछ दिनों से अफगानिस्तान में सरकार बनाने की घोषणा करने में देरी कर रहा है. हालांकि अभी इस पर कोई बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन रिपोर्ट्स का दावा है कि तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के मध्य सत्ता के बंटवारे को लेकर के गंभीर मतभेद हैं, जिसके कारण सरकार के गठन में देरी हो रही है.
तालिबान के शीर्ष नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर जो अफगानिस्तान के नए शासन का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं, संघर्ष के दौरान घायल हो गए थे और उनका इलाज पाकिस्तान में चल रहा है.
रुबिन ने तालिबान में दरार का संकेत दिया है और कहा है कि हक्कानी और कई अन्य गुट हैबतुल्ला अखुंदजादा को अपना नेता स्वीकार नहीं करते हैं. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद शनिवार को एक प्रतिनिधिमंडल के साथ काबुल पहुंचे थे.
पेंटागन के एक पूर्व अधिकारी ने कहा कि उनकी हालिया यात्रा से अफगान सरकार को गिराने में हमीद का हाथ उजागर हो गया है. उन्होंने कहा, "हमीद का हाथ उजागर होने के बाद अमेरिका के नीति निर्माताओं को तालिबान से बातचीत या पहचान क्यों करनी चाहिए जब हमीद की आपातकालीन यात्रा पुष्टि करती है कि वह केवल आईएसआई की एक कठपुतली हैं."
उन्होंने कहा कि वाशिंगटन के लिए बेहतर तरीका है कि फैज हमीद को आतंकी के रूप में नामित किया जाए और वह जिस संगठन का नेतृत्व करता है, वह एक आतंकवादी इकाई के रूप में है और उसने अफगानिस्तान को लंबे समय तक पीड़ित किया है.
विशेषज्ञों का मानना है कि अफगान सरकार को सत्ता से हटाने और तालिबान को निर्णायक शक्ति के रूप में स्थापित करने में पाकिस्तान प्रमुख खिलाड़ी रहा है.
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