स्वीडन ने देशभर में सभी पेरेंट्स को 2 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए स्क्रीन को देखना पूरी तरह से बंद कर देने के लिए कहा है. लेकिन आपको भी जान लेना चाहिए कि आखिर स्वीडन ने इतना बड़ा कदम क्यों उठाया है और स्वीडन किस वजह से देशभर में बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम लिमिट करने पर जोर दे रहा है? दरअसल, ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिक देर तक स्क्रीन देखने की वजह से बच्चों को पर्याप्त नींद नहीं मिल रही है और इस वजह से उनकी सेहत प्रभावित हो रही है.
दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए स्क्रीन देखने पर प्रतिबंध
स्वीडन ने सोमवार 2 सितंबर को पेरेंट्स से कहा कि छोटे बच्चों को स्क्रीन देखने की बिल्कुल भी इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. देश की पब्लिक हेल्थ एजेंसी ने कहा, 2 साल से कम उम्र के बच्चों को डिजिटल मीडिया या फिर टीवी आदि से पूरी तरह दूर रखना चाहिए. दो से 5 साल के बच्चों को दिनभर में अधिकतम केवल एक घंटे के लिए ही स्क्रीन देखने देनी चाहिए. वहीं 6 से 12 साल के बच्चों को दिनभर में एक या दो घंटों से अधिक वक्त के लिए स्क्रीन नहीं देखनी चाहिए. 13 से 18 साल के बच्चों को सिर्फ दो से तीन घंटों तक ही स्क्रीन देखनी चाहिए.
स्वीडन पब्लिक हेल्थ मिनिस्टर ने कही ये बात
पब्लिक हेल्थ मिनिस्टर जैकब फ़ोर्समेड ने कहा, "बहुत लंबे समय से, स्मार्टफोन और अन्य स्क्रीन को हमारे बच्चों के जीवन के हर पहलू में प्रवेश करने की अनुमति दी गई है." मंत्री ने कहा कि 13 से 16 वर्ष की आयु के स्वीडिश बच्चे स्कूल के अलावा, औसतन रोजाना साढ़े छह घंटे अपनी स्क्रीन के सामने बिताते हैं. फोर्समेड ने कहा कि इससे "कम्यूनल एक्टिविटीज, फिजिकल एक्टीविटीज या नींद पूरी करने के लिए बहुत अधिक समय नहीं मिलता" और उन्होंने स्वीडिश "नींद संकट" पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि 15 वर्ष की आयु के आधे से अधिक बच्चों को पर्याप्त नींद नहीं मिलती है.
हेल्थ एजेंसी ने दिया ये सुझाव
स्वास्थ्य एजेंसी ने यह भी सुझाव दिया है कि बच्चे सोने से पहले स्क्रीन का इस्तेमाल न करें और रात में फोन और टैबलेट को बेडरूम से बाहर रखें. इसने शोध का हवाला दिया है जिसमें दिखाया गया है कि स्क्रीन के जरूरत से ज्यादा उपयोग से नींद खराब हो सकती है, अवसाद हो सकता है और लोग अपने शरीर से असंतुष्ट हो सकते हैं.
स्वीडन की सरकार ने पहले कहा था कि वो प्राइमरी स्कूल में स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने पर बैन लगाने के बारे में सोच रहा है.
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