नेपाली कांग्रेस के अनुभवी नेता और 1960 में शाही अधिग्रहण के बाद भारत में 16 वर्ष का राजनीतिक बनवास गुजारने वाले सुशील कुमार कोइराला को सोमवार को सीपीएन-यूएमएल के समर्थन से नेपाल का प्रधानमंत्री चुना गया। इसके साथ ही देश में पिछले वर्ष चुनाव में खंडित जनादेश के बाद से चल रहे राजनीतिक संकट का अंत हो गया।
74 साल के कोइराला प्रधानमंत्री पद की दौड़ में अकेले उम्मीदवार थे। उन्हें 601 सदस्यीय संविधान सभा में 405 सदस्यों के समर्थन के साथ चुना गया।
यूसीपीएन-माओवादी, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी-नेपाल और माओवादियों के गठबंधन के कुछ छोटे दलों के करीब 148 सदस्यों ने कोइराला के खिलाफ वोट दिया। अंतरिम संविधान के मुताबिक, प्रधानमंत्री बनने के लिए 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिलना जरूरी है।
मतदान के बाद संसद के स्पीकर सूर्य बहादुर थापा ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच ऐलान किया कि कोइराला को बहुमत मिल गया है।
पूर्वी नेपाल के बिराटनगर में जन्मे कोइराला ने 1955 में नेपाली कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। वह पूर्व प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराल के चचेरे भाई हैं और सादा जीवन, उच्च विचार के हिमायती हैं।
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