संयुक्त राष्ट्र:
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए इस विषय के समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप की पुरजोर वकालत की।
शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र को जम्मू कश्मीर के मुद्दे और इसकी जनता के आत्मनिर्णय के अधिकार की पूर्ण प्राप्ति के प्रति सजग रहना चाहिए। जनता की पीड़ा को सत्ता की राजनीति के कारण छुपाया नहीं जा सकता।
शरीफ और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की रविवार को यहां मुलाकात का कार्यक्रम है। शरीफ ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को विवादों को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।
शरीफ ने कहा कि अतीत की तरह, पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आह्वान करता है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार कश्मीरियों को शांतिपूर्ण तरीके से अपने भविष्य के बारे में फैसला करने का अवसर मिलना चाहिए। जम्मू कश्मीर का मुद्दा जनवरी 1948 में सुरक्षा परिषद में रखा गया और करीब सात दशकों बाद भी यह मुद्दा अनसुलझा है।
शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान और भारत के पास एक साथ मिलकर काम करने के ठोस आधार हैं। उन्होंने कहा कि हम वर्ष 1999 में हस्ताक्षरित लाहौर समझौते पर काम कर सकते हैं जिसमें शांतिपूर्ण वार्ता के जरिये अपने मतभेद सुलझाने का खाका मौजूद है।
शरीफ ने कहा कि उनकी क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए निजी रूप से महत्वाकांक्षा है। उन्होंने कहा कि पद संभालने के तुरंत बाद, मुझे भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से सदभावना संदेश मिला। मैंने उन्हें हमारे साथ दोनों देशों के बीच मौजूद सभी विवादित मुददों पर गौर करने के लिए मिलकर काम करने के लिए आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री सिंह का रुख सकारात्मक था।
शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र को जम्मू कश्मीर के मुद्दे और इसकी जनता के आत्मनिर्णय के अधिकार की पूर्ण प्राप्ति के प्रति सजग रहना चाहिए। जनता की पीड़ा को सत्ता की राजनीति के कारण छुपाया नहीं जा सकता।
शरीफ और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की रविवार को यहां मुलाकात का कार्यक्रम है। शरीफ ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को विवादों को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।
शरीफ ने कहा कि अतीत की तरह, पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आह्वान करता है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार कश्मीरियों को शांतिपूर्ण तरीके से अपने भविष्य के बारे में फैसला करने का अवसर मिलना चाहिए। जम्मू कश्मीर का मुद्दा जनवरी 1948 में सुरक्षा परिषद में रखा गया और करीब सात दशकों बाद भी यह मुद्दा अनसुलझा है।
शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान और भारत के पास एक साथ मिलकर काम करने के ठोस आधार हैं। उन्होंने कहा कि हम वर्ष 1999 में हस्ताक्षरित लाहौर समझौते पर काम कर सकते हैं जिसमें शांतिपूर्ण वार्ता के जरिये अपने मतभेद सुलझाने का खाका मौजूद है।
शरीफ ने कहा कि उनकी क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए निजी रूप से महत्वाकांक्षा है। उन्होंने कहा कि पद संभालने के तुरंत बाद, मुझे भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से सदभावना संदेश मिला। मैंने उन्हें हमारे साथ दोनों देशों के बीच मौजूद सभी विवादित मुददों पर गौर करने के लिए मिलकर काम करने के लिए आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री सिंह का रुख सकारात्मक था।
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