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This Article is From Mar 15, 2012

श्रीलंकाई राजदूत ने अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगी

श्रीलंकाई राजदूत ने अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगी
नई दिल्ली: भारत में श्रीलंका के राजदूत ने अपनी टिप्पणियों के लिए भारतीय सांसदों से माफी मांगी है। श्रीलंकाई राजदूत ने कहा था कि श्रीलंका में तमिल टाइगर्स के मानवाधिकार हनन का मुद्दा उठाने वालों के लिट्टे (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) से सम्बंधों की जांच की जाए। भारत सरकार ने गुरुवार को इस सम्बंध में पूछताछ के लिए श्रीलंकाई राजदूत को बुलाया था।

विदेश मंत्रालय में श्रीलंका सम्बंधी मामलों के संयुक्त सचिव हर्षवर्धन श्रींगला ने श्रीलंकाई उच्चायुक्त प्रसाद करियावासम से मुलाकात की। श्रींगला ने करियावासम की भारतीय सांसदों के सम्बंध में टिप्पणियों पर भारत सरकार की आपत्ति से उन्हें अवगत कराया।

मुलाकात के बाद करियावासम ने यहां संवाददाताओं से कहा, "यदि मैंने तमिलनाडु के सांसदों के मन में किसी प्रकार का असंतोष, चिंता या संकट पैदा किया हो तो मैं उनसे माफी चाहता हूं। मैं इसके लिए क्षमा चाहता हूं।"

एक भारतीय समाचार पत्र के मुताबिक पूर्व में करियावासम ने कहा था कि भारत सरकार को तमिलों के प्रति संवेदनशीलता दिखाने वाले भारतीय सांसदों की जांच करनी चाहिए। करियावासम ने अपनी टिप्पणियों पर स्पष्टीकरण देने के बाद कहा, "मेरा यह मतलब नहीं था।"

उन्होंने कहा, "मेरा मतलब था कि दूसरे देशों में लिट्टे समर्थक समूह सक्रिय हैं और इस क्षेत्र में श्रीलंका के खिलाफ दुष्प्रचार का एक अभियान चला रहे हैं।" उन्होंने कहा कि श्रीलंका में लम्बे समय तक चले युद्ध की 2009 में समाप्ति के बाद शुरू हुई सुलह की प्रक्रिया में बाधा डालने के मकसद से ऐसा किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि जब उन्होंने जांच की बात कही तो उनका मतलब विदेशों में लिट्टे समर्थक समूहों से था न कि भारतीय सांसदों से। करियावासम ने कहा कि उनसे मुलाकात करने वाले भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने उनकी कथित टिप्पणियों पर स्पष्ट रूप से भारत सरकार की चिंता की बात कही।

जब उनसे पूछा गया कि वह जिनेवा में मानवाधिकार परिषद की बैठक में श्रीलंका में युद्ध अपराधों पर अमेरिका प्रायोजित प्रस्ताव पर भारत के कैसे रुख की उम्मीद करते हैं, तो उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा, "भारत एक जिम्मेदार राष्ट्र है।" तमिलनाडु की पार्टियों ने सरकार से प्रस्ताव वापस लेने के लिए कहा है। दूसरी ओर इस संवेदनशील मुद्दे पर भारत सावधानी बरत रहा है। केंद्र सरकार ने इस संवेदनशील मुद्दे पर संसद में चर्चा के बाद कोई निर्णय लेने की बात कही है। केंद्र सरकार ऐसा निर्णय चाहती है जिससे अविश्वास व टकराव से बचा जा सके।

विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका पर प्रस्ताव के मसौदे पर टिप्पणी देते हुए बुधवार को कहा, "हम सम्बंधित पक्षों के बीच अविश्वास व टकराव को बढ़ावा देने के बजाए उनके बीच सुलह व जवाबदेही को बढ़ाने वाला परिणाम हासिल करने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं।"

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