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श्रीलंका सरकार ने एक ब्रिटिश खबरिया चैनल की लिबरशेन टाईगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरण के 12 साल के बेटे की सुनियोजित हत्या संबन्धी एक डॉक्यूमेंट्री को झूठी, अर्द्धसत्य और अटकलों के विविध रूप करार देते हुए खारिज कर दिया है।
चैनल-4 की ‘नो वॉर जोन-द किलिंग फील्ड्स ऑफ श्रीलंका’ नामक डाक्यूमेंट्री मार्च में जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के अगले सत्र में दिखाई जाएगी।
इन तस्वीरों से तमिल टाईगर्स विद्रोहियों के खिलाफ अंतिम चरण के अभियान के दौरान श्रीलंका के सशस्त्र बल के बर्ताव पर फिर सवाल पैदा हो गया। साथ ही, यह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में एक गंभीर प्रस्ताव से दो-दो हाथ करने की सरकार की कोशिश पर दूसरा झटका है।
एक फोटो में बालचंद्रन प्रभाकरण एक बंकर में श्रीलंका के सैनिकों की हिरासत में जिंदा नजर आ रहा है, कुछ ही घंटे बाद की तस्वीर में वह मरा पड़ा है और उसकी छाती गोलियों से छलनी की गई है।
इसे झूठ करार देते हुए सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर रूवान वानिगासूरिया ने कहा कि सबसे रोचक बात तो यह है कि जब यूनएनएचआरसी की बैठक समीप आती है तब ऐसी बातें सामने आ जाती हैं और उसके बाद सब ठंडा पड़ जाता है।
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