निर्माणाधीन अफगान संसद (फोटो सौजन्य : MEA)
नई दिल्ली:
आज तालिबान ने अफगानिस्तान की संसद पर हमला कर दिया। लेकिन भारत सरकार द्वारा अफगानिस्तान में नई संसद का निर्माण किया जा रहा है। भारत यह निर्माण अफगानिस्तान के लोगों के लोकतंत्र में विश्वास के चलते सहयोग के रूप में कर रहा है।
पिछले कई दशकों से आतंक का दंश झेल रहे अफगानिस्तान में काफी समय बाद शांति का माहौल बना है, लेकिन तालिबान लगातार आतंकी घटनाओं को अंजाम देता आ रहा है। बताया जा रहा है कि नए संसद भवन में बाहरी छोर पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
आइए पढ़ते हैं अफगान संसद निर्माण की कुछ रोचक जानकारी-
पिछले कई दशकों से आतंक का दंश झेल रहे अफगानिस्तान में काफी समय बाद शांति का माहौल बना है, लेकिन तालिबान लगातार आतंकी घटनाओं को अंजाम देता आ रहा है। बताया जा रहा है कि नए संसद भवन में बाहरी छोर पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
आइए पढ़ते हैं अफगान संसद निर्माण की कुछ रोचक जानकारी-
- भवन निर्माण की कुल लागत करीब 710 करोड़ रुपये है। इस भवन के चार मुख्य भाग हैं। हाउस ऑफ पीपल, ऑफिसर्स, एंट्रेंस लॉबी और सीनेट हॉल।
- भवन में दो प्रमुख गुम्बद होंगे। एक गुम्बद तांबे का बन रहा है जिसका डायमीटर 32 मीटर है और 17.15 मीटर की ऊंचाई है। यही गुम्बद मुख्य एसेंबली हॉल को घेरेगा। दूसरा गुम्बद शीशे का है जो एंट्रेंस पर है।
- यहां पर पानी के फव्वारों का खास इंतजाम किया गया है। करीब नौ फव्वारे तो भवन के सामने बनाए गए हैं। उदयपुर में हरे मारबल से तैयार करीब 20 फीट ऊंचा फव्वारा यहां पर लगाया जा रहा है।
- फिलहाल संसद भवन के मुख्य कक्ष में 256 लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है। साथ ही 38 अन्य लोगों के बैठने की व्यवस्था है। दोनों सदनों के विशेष बैठक के लिए अतिरिक्त इंतजाम किया गया है। वहीं, सीनेट हॉल में 120 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है। साथ ही आवश्यकता पड़ने पर 14 अन्य सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है।
- इस भवन निर्माण में आधुनिक और मुगलकालीन ऑर्किटेक्चर का प्रयोग किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस साल अंत तक यह निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा और अफगान सरकार को सौंप दिया जाएगा।
- बता दें कि करीब 84 एकड़ क्षेत्रफल वाले इस भवन का निर्माण कार्य 2009 में शुरू हुआ था और आरंभ में इसे पूरा करने के लिए तीन साल का वक्त रखा गया था।
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