भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. बीते कुछ महीनों स्थिति इस कदर बिगड़ चुकी है कि जिस शेख मुजीबुर्रहमान ने कभी बांग्लादेश को आजादी दिलाई थी आज उन्हीं के घर को प्रर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया है. बताया जा रहा है कि हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी पहले शेख मुजीबुर्रहमान के घर पहुंची और पहले वहां तोड़फोड़ भी की है. इसे देखकर ऐसा लग रहा है कि जैसे बांग्लादेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से चरमरा गई है. सूत्रों के अनुसार जिस समय प्रदर्शनकारियों ने शेख मुजीबुर्रहमान के घर पर आगजनी की गई उस दौरान उनकी बेटी और देश की पूर्व पीएम शेख हसीना देश के बाहर से अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को ऑनलाइन संबोधित कर रही थीं.
आवामी लीग ने बुलाया ढाका बंद
शेख हसीना की आवामी लीग ने शेख मुजीबुर्रहमान के घर पर की गई तोड़फोड़ और आगजनी के खिलाफ आवामी लीग ने ढाका बंद बुलाया है.शेख हसीना की पार्टी ने कहा है कि जिस तरह से शेख मुजीबुर्रहमान के घर पर हमला हुआ है वो कहीं से भी सही नहीं है. आवामी लीग ने कहा है कि इसके परिणाम गंभीर होंगे.
बांग्लादेश में अब तक क्या-क्या हुआ है
- पिछले साल उस समय की प्रधानमंत्री शेख हसीना के सरकारी आवास पर प्रदर्शनकारियों ने हमला किया था.
- इसके बाद देश भर में प्रदर्शन औऱ हिंसा का दौर शुरू हुआ.
- हिंदू अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया, कई जगहों पर तो मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों पर तोड़फोड़ की गई.
- बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच नजदीकियां बढ़ीं.
- पहले बांग्लादेश की सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने पाकिस्तान का दौरा किया.
- इसके बाद ISI के वरिष्ठ अधिकारियों ने ढाका का दौरा किया. इस दौरे पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच बातचीत हुई.
अंतरिम सरकार पर लगाया गंभीर आरोप
शेख मुजीबुर्रहमान के घर पर की गई तोड़फोड़ को लेकर आवामी लीग ने अंतरिम सरकार पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं.आवामी लीग ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर राज्य मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाया है. इस घटना को लेकर आवामी लीग ने एक बयान जारी कर कहा है कि जब से अवैध, असंवैधानिक और फासीवादी युनूस सरकार के राज्य की सत्ता पर कब्जा किया है. उस समय से ही उसने अपने लाभ के लिए राज्य मशीनरी पर कब्जा कर लिया है. यह राष्ट्रीय और राज्य संसाधनों को अपनी निजी संपत्ति समझती है. सत्ता के नशे में चूर ये अलोकतांत्रिक सरकार जनता के प्रति पूरी तरह उदासीन है.
'लोकतांत्रिक अधिकारों को छीना जा रहा है'
आवामी लीग ने अपने बयान में आगे कहा है कि बांग्लादेश की मौजूदा सरकार लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों के साथ-साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को छीन लिया है. इस सरकार के खिलाफ जो भी आवाज उठाता है उस व्यक्ति या राजनीतिक संस्था को दमन का सामना करना पड़ता है. सरकार की गलत नीतियों और उनकी दमकारी नीतियों के खिलाफ आवामी लीग ने कई कार्यक्रमों की घोषणा की है. अवामी लीग के प्रति लोगों के बढ़ते समर्थन से डरी फासीवादी सरकार अपने डर और नाकामी को छिपाने के लिए आतंक का सहारा ले रही है.
पाकिस्तान से और करीबी बढ़ा रहा है बांग्लादेश
शेख हीसान के देश छोड़कर जाने के बाद से ही बांग्लादेश पाकिस्तान के सबसे ज्यादा करीब आया है. बीते कुछ महीनों में बांग्लादेश ने पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों को इतना बेहतर कर लिया है कि अब दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के यहां जा रही हैं. बीते दिनों ISI के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने भी ढाका का दौरा किया था. इस दौरे के दौरान इन अधिकारियों ने बांग्लादेशी सेना के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की थी. इससे पहले बांग्लदेशी सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने पाकिस्तान का दौरा किया था. उस दौरान रावलपिंडी में पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ अधिकारियों से उनकी बैठक की थी.
ISI का क्या है रोल?
बांग्लादेश के अखबार 'डेली स्टार' और 'ट्रिब्यून' की रिपोर्ट की मानें, तो इस पूरे मामले में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं. लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैज-उर-रहमान ने ढाका में हाल ही में ISI चीफ और डेलीगेशन के साथ घंटों मीटिंग की थी. रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश की सेना को भारत के प्रभाव से मुक्त करने और कट्टरपंथी दिशा में मोड़ने की कोशिशें हो रही हैं. जमां का भारत के प्रति जो उदारवादी रवैया है, वो ISI को कतई रास नहीं आ रहा है. लिहाजा वह रहमान का साथ दे रहा है. इस साजिश में बाकायदा बांग्लादेशी खुफिया एजेंसी DGFI से काम लिया जा रहा है.
हसीना के देश छोड़ने के बाद आर्थिक सेहत पर क्या पड़ा असर?
वर्ल्ड बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बांग्लादेश के लिए GDP ग्रोथ के पूर्वानुमान को 0.1% घटाकर 5.7% कर दिया है. यहां महंगाई दर 10% के करीब पहुंच गई है. इस बीच अमेरिका में ट्रंप सरकार ने बांग्लादेश को देने वाली मदद भी रोक दी है. इससे बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था तेजी से नीचे गिर रही है.
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