- बांग्लादेश में छात्र नेता उस्मान हादी की हत्या के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन और अस्थिरता की स्थिति बनी हुई है
- पूर्व PM शेख हसीना ने मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर अराजकता और कट्टरपंथ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया
- शेख हसीना ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न और इस्लामवादी चरमपंथ के बढ़ते प्रभाव पर चिंता व्यक्त की
बांग्लादेश में इंकलाब मंच के प्रवक्ता और छात्र नेता उस्मान हादी की हत्या के बाद वह सबकुछ देखने को मिला जो एक लोकतांत्रिक देश में नहीं होना चाहिए था. पिछले हफ्ते कई दिनों के हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद अभी ढाका में असहज शांति बनी हुई है. ऐसे में बांग्लादेश की पूर्व प्रधान मंत्री शेख हसीना ने हिंसा को देखते हुए मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की आलोचना की और कहा कि हिंसा पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को अस्थिर करती है.
न्यूज एजेंसी ANI के साथ एक ईमेल इंटरव्यू में, शेख हसीना ने आरोप लगाया कि मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस की सरकार में उनके (हसीना के) शासन को उखाड़ फेंकने वाली "अराजकता" कई गुना बढ़ गई है. पूर्व प्रधान मंत्री ने देश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर भी प्रकाश डाला और कहा कि भारत "अराजकता देखता है."
बता दें कि पिछले साल जुलाई के विद्रोह से जुड़े एक प्रमुख छात्र नेता उस्मान हादी को 12 दिसंबर को ढाका के बिजयनगर इलाके में एक रिक्शा में यात्रा करते समय करीब से गोली मार दी गई थी. उनके सिर में गोली लगी थी और बाद में उन्हें बेहतर इलाज के लिए विमान से सिंगापुर ले जाया गया था. हर प्रयासों के बावजूद 18 दिसंबर को उनकी मृत्यु हो गई. हादी की मौत के बाद, ढाका में विरोध प्रदर्शन और अशांति फैल गई, कई मीडिया हाउस पर हमला किया गया, उनकी बिल्डिंग में आग लगा दी गई.
शेख हसीना ने बांग्लादेश में इस्लामवादी प्रभाव और सुरक्षा चिंताओं पर बात की. उन्होंने कहा, "मैं इस चिंता को साझा करती हूं, जैसे कि लाखों बांग्लादेशी जो उस सुरक्षित, धर्मनिरपेक्ष सरकार को पसंद करते हैं, जो हम एक बार थे. यूनुस ने चरमपंथियों को कैबिनेट पदों पर रखा है, दोषी आतंकवादियों को जेल से रिहा किया है, और अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों से जुड़े समूहों को सार्वजनिक जीवन में भूमिका निभाने की अनुमति दी है. वह एक राजनेता नहीं हैं और उन्हें एक जटिल राष्ट्र पर शासन करने का कोई अनुभव नहीं है. मेरा डर यह है कि कट्टरपंथी उनका उपयोग अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए स्वीकार्य चेहरा पेश करने के लिए कर रहे हैं, जबकि वे हमारी संस्थाओं को भीतर से व्यवस्थित रूप से कट्टरपंथी बना रहे हैं. इससे न केवल भारत, बल्कि दक्षिण एशियाई स्थिरता में निवेश करने वाले प्रत्येक राष्ट्र को चिंतित होना चाहिए. बांग्लादेशी राजनीति का धर्मनिरपेक्ष चरित्र हमारी सबसे बड़ी ताकतों में से एक था, और हम इसे कुछ मूर्ख चरमपंथियों की इच्छा के कारण बलिदान नहीं होने दे सकते."
"बांग्लादेश में हिंसा आदर्श बन गई है"
शेख हसीना ने कहा, "यह दुखद हत्या उस अराजकता को दर्शाती है जिसने मेरी सरकार को उखाड़ फेंका और यूनुस के तहत कई गुना बढ़ गई. हिंसा आदर्श बन गई है जबकि अंतरिम सरकार या तो इससे इनकार करती है या इसे रोकने में शक्तिहीन है. ऐसी घटनाएं न केवल बांग्लादेश को आंतरिक रूप से अस्थिर करती हैं, बल्कि उन पड़ोसियों के साथ हमारे संबंधों को भी अस्थिर करती हैं जो चिंता की नजरों के साथ देख रहे हैं. भारत अराजकता, अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न और हमारे द्वारा मिलकर बनाई गई हर चीज का क्षरण देख रहा है. जब आप अपनी सीमाओं के भीतर बुनियादी व्यवस्था बनाए नहीं रख सकते हैं, तो अंतरराष्ट्रीय मंच पर आपकी विश्वसनीयता गिर जाती है. यह यूनुस के बांग्लादेश की वास्तविकता है.”
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