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अमेरिका में प्रस्तावित सीनेट आव्रजन योजना के तहत जारी एच-1बी वीजा की संख्या दोगुनी हो सकती है। इससे ग्रीन कार्ड पर लगी सीमा भी हटेगी। इस कदम से भारतीय-अमेरिकी प्रौद्योगिकी पेशेवरों को फायदा होगा न कि भारतीय कंपनियों को।
समाचार पत्र वाशिंगटन पोस्ट ने बातचीत से जुड़े लोगों के हवाले से कहा है कि सीनेट आव्रजन योजना उच्च दक्षता प्राप्त विदेशी कर्मचारियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि करेगी और असीमित संख्या में उन छात्रों को स्थायी कानूनी दर्जा देगी जो अमेरिकी विश्वविद्यालयों से विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग या गणित में स्नातक डिग्री हासिल करते हैं।
अगर यह योजना दोनों सदनों, प्रतिनिधि सभा तथा सीनेट में पारित होती है तो फेसबुक, गूगल तथा माइक्रोसाफ्ट की मांग पूरी हो जाएगी। इन कंपनियों का कहना है कि वे अमेरिका में पर्याप्त संख्या में योग्य कर्मचारी तलाशने में सक्षम नहीं हैं।
भारत में सर्वाधिक पेशवरों की संख्या को देखते हुए इस योजना से भारतीय-अमेरिकी प्रौद्योगिकी पेशेवर सर्वाधिक लाभान्वित होंगे। हालांकि इस आव्रजन सुधार से भारतीय कंपनियों को फायदा होने की संभावना नहीं है।
वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, ‘‘इसके अंतर्गत वीजा की संख्या मौजूदा 65,000 सालाना से लगभग दोगुनी हो सकती है।’’
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