India को Russian Oil की सप्लाई के लिए मैदान में उतरे नए खिलाड़ी, दे रहे 'भारी डिस्काउंट'

 "भारतीय रिफायनरियां (Indian Refineries) रूस का सस्ता कच्चा तेल (Cheap Russian Crude Oil) खरीदने के लिए अब इन नए, छोटे ट्रेडर्स के साथ डील करने का खतरा उठाना चाहती हैं, क्योंकि इनसे मिलने वाला डिस्काउंट छोड़ना आसान नहीं है." - तेल बाजार विशेषज्ञ

India को Russian Oil की सप्लाई के लिए मैदान में उतरे नए खिलाड़ी, दे रहे 'भारी डिस्काउंट'

यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद रूसी कच्चे तेल पर कई प्रतिबंध लगे हैं (प्रतीकात्मक तस्वीर)

भारत (India) के लिए सस्ते रूसी तेल (Russian Crude Oil) को खरीदने के और रास्ते खुलने वाले हैं. यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia Ukraine War) के महीनों गुजर जाने के बाद अब कई छोटे अंतरराष्ट्रीय व्यापारी भारत को उस रूसी तेल की आपूर्ती करने के लिए आगे आ रहे हैं जो रूस के विरोधी खेमे ने लेने से इंकार कर दिया है.  ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार,  भारत की सरकारी रिफायनरी जैसे इंडियन ऑइल कॉर्परेशन (Indian Oil Corp.) छोटे और कम साख वाले व्यापारियों से तेल खरीदने के लिए तैयार हो रही हैं.

रिफायनरी के अधिकारियों का कहना है कि रूसी उत्पादकों के साथ काम करने की बजाए उनके साथ काम करना आसान है क्योंकि इसमें ब्यूरोक्रेसी कम होती है जो बातचीत को धीमा कर देती है. वेलब्रेड और मॉन्टफोर्ट जैसी कंपनियां रूसी तेल भारतीय खरीददारों को बेच रही हैं और वो कोरल एनर्जी और एवरेस्ट एनर्जी जैसे ट्रेडर्स की राह पर चल रही हैं. यह कंपनियां बड़े समूहों जैसे विटोल ग्रुप की कमियों को पूरा करने के लिए तैयार हैं. 

ब्लूमबर्ग ने जब इस बारे में आईओसी, वेलब्रेड, मॉन्टफोर्ट, रोसनेफ्ट जैसी कंपनियों से सवाल करने के लिए ईमेल भेजे तो किसी का जवाब नहीं आया. व्यापारियों और जहाज के बिचौलियों ने कहा कि वो इन कंपनियों के बारे में अधिक नहीं जानते, केवल इतना जानते हैं कि वो समय समय पर ईंधन लाती-ले जाती रहती हैं.  

कैसे काम करती हैं ये छोटी कंपनियां?

ट्रेडिंग कंपनियां कई बार बिचौलियों का काम भी करती हैं जिससे विक्रेताओं और खरीददारों के बीच जो कमियां हैं उन्हें पूरा किया जा सके. सैद्धांतिक तौर से कुछ कंपनियां रूसी निकायों के साथ काम करना जारी रख सकती हैं जिनपर प्रतिबंध लगे हैं. साथ ही वो इस बात का भी इंतजाम करती हैं कि अलग-अलग पेमेंट की शर्तों का प्रस्ताव दिया जा सके ताकि फंड की मूवमेंट बनी रहे.  श्रीलंका को मई में कोरल एनर्ज ने रूसी तेल का जहाज़ पहुंचाया था. तब से श्रीलंका को भी इस ट्रेडर से कई बार तेल मिल चुका है.   

वंदा इनसाइट की फाउंडर वंदना हरि कहती हैं,  "भारतीय रिफायनरियां भी अब इन नए, छोटे ट्रेडर्स के साथ डील करने का खतरा उठाना चाहती हैं, क्योंकि इनसे मिलने वाला डिस्काउंट मना करना आसान नहीं है. हम जानते हैं कि भारतीय रिफायनरियां चाहती हैं कि रूसी कार्गो की आपूर्ती उन्हें डिलीवरी बेसिस पर हो. जब तक नए ट्रेडर यह ज़रूरत पूरी कर रहे हैं, यह काम बनता रहेगा." 

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अधिकारियों के अनुसार, व्यापारियों की नई खेप, रूसी यूराल क्रूड ऑइल की सप्लाई पर करीब 8 डॉलर प्रति बैरल तक का डिस्काउंट दे रही हैं.  कुछ व्यापारी दिरहम जैसी वैकल्पिक करेंसी में भी पेमेंट की सुविधा दे रहे हैं. साथ ही भारत के सेंट्रल बैंक ने भी अंतरराष्ट्रीय व्यापार को अपनी करेंसी में करने की एक योजना की घोषणा की है.