अब यूक्रेन क्या करेगा...
यूक्रेन युद्ध का अब क्या होगा? क्या अमेरिका की मदद के बिना यूक्रेन युद्ध में रूस के सामने टिका रह सकेगा? अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच ओवल ऑफिस में जो हुआ, उसे दुनिया ने देखा. नोकझोंक के बाद से शांति समझौता खटाई में पड़ गया है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि शुक्रवार को व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रम्प और वलोडिमिर जेलेंस्की के बीच तीखी नोकझोंक चौंकाने वाली थी, लेकिन ऐसी आशंका जताई जा रही थी. जेलेंस्की को आगे का रास्ता अनिश्चित दिख रहा है. ऐसे में ट्रंप के सामने जेलेंस्की का इस तरह बिफरना काफी कुछ बयां कर रहा है. जेलेंस्की के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वो अमेरिका की मदद के बिना कैसे जंग जारी रख पाते हैं.
यूक्रेन के साथ खड़े हैं यूरोपीय देश...
फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण किया गया था. युद्ध की शुरुआत से ही अमेरिका, यूक्रेन के साथ पूरी मजबूती के साथ खड़ा रहा. हालांकि, ट्रंप लंबे समय से यूक्रेन के लिए अमेरिका की अरबों डॉलर की सहायता के आलोचक रहे हैं. ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव प्रचार के दौरान भी रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवाने का वादा किया था. सत्ता में वापिस आने के तुरंत बाद ट्रंप इस युद्ध को रुकवाने के अपने वादे को पूरा करने में जुट गए. 12 फरवरी को उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की, जिसमें यूक्रेन को शामिल किए बिना शांति वार्ता सऊदी अरब शुरू हुई. ये एक ऐसा कदम था, जिसने जेलेंस्की को नाराज कर दिया और यूरोपीय देशों को भी चौंका दिया. तब से ज़ेलेंस्की और वाशिंगटन के यूरोपीय सहयोगियों ने ट्रंप से किसी भी युद्धविराम के लिए सुरक्षा गारंटी प्रदान करने की अपील की, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यदि कोई भी पक्ष इसे तोड़ता है, तो उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे.
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क्या जेलेंस्की के लिए अब भी खुले हैं व्हाइट हाउस के दरवाजे
ट्रंप लगातार रूस और यूक्रेन के बीच जंग रुकवाने की कोशिश में जुटे हुए हैं, लेकिन उन्होंने यह कहने से इनकार कर दिया है कि क्या वह ऐसी गारंटी देंगे, और जोर देकर कहा कि पुतिन उनका इतना "सम्मान" करते हैं कि कोई भी समझौता नहीं तोड़ेंगे. शुक्रवार को, ट्रंप और उनके उपाध्यक्ष जेडी वेंस द्वारा ज़ेलेंस्की पर अमेरिकी समर्थन के लिए 'शुक्रगुजार' नहीं होने का आरोप लगाने के बाद तनाव पैदा हो गया. ट्रंप ने कहा, 'जब वह शांति के लिए तैयार हों, तो वह वापस आ सकते हैं.' उनके प्रेस सचिव ने कहा कि यूक्रेनी नेता और उनके दल को ओवल ऑफिस में झड़प के बाद व्हाइट हाउस छोड़ने के लिए कहा गया था.
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ये तो होना ही था...
इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप (आईसीजी) के वरिष्ठ सलाहकार ब्रायन फिनुकेन ने कहा कि शुक्रवार की बैठक के बारे में पहले से ही अनुमान लगाया जा रहा था कि ये हमेशा तनावपूर्ण रह सकती है. उन्होंने कहा, 'ओवल ऑफिस में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के बीच हुई बहस चौंकानेवाली थी. लेकिन यूक्रेन को अमेरिकी सैन्य समर्थन के बारे में राष्ट्रपति ट्रंप की सोच और यूक्रेन पर रूस के युद्ध के बारे में उनके द्वारा दिये गए बयानों को देखते हुए ये बिल्कुल आश्चर्यजनक नहीं था.' जेलेंस्की ने ट्रंप से मुलाकात के बाद माफी मांगने से मना कर दिया. वहीं, ट्रंप ने भी वार्ता के बाद जेलेंस्की की टीम को बाहर का रास्ता दिखा दिया था. ऐसे में अब आगे क्या होगा?
अमेरिका के बिना कैसे लड़ेगा यूक्रेन?
अमेरिका के बिना रूस से यूक्रेन कैसे लड़ेगा? ये सवाल कई लोगों के जेहन में घूम रहा है. हालांकि, कई देश यूक्रेन के समर्थन में अब भी खड़े हैं. इनमें जर्मनी, फ्रांस, पोलैंड, स्पेन, नीदरलैंड जैसे देश भी शामिल हैं. फ्रांस के राष्ट्रपति ने यूक्रेन के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि हमला करने वाला रूस है, यूक्रेन नहीं. वहीं जर्मनी के चांसलर ने कहा है कि यूक्रेन, जर्मनी और यूरोप पर भरोसा कर सकता है. नीदरलैंड्स ने भी यूक्रेन के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है. प्रधान मंत्री डिक शूफ ने कहा कि यूक्रेन के लिए डच समर्थन कम नहीं हुआ है. विवाद के बाद स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने कहा कि उनका देश युद्धग्रस्त यूक्रेन के साथ खड़ा रहेगा. लेकिन रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो यूक्रेन, अमेरिका के बिना रूस से ज्यादा दिनों तक नहीं लड़ पाएगा. क्योंकि लगभग 30 प्रतिशत मदद अकेले अमेरिका, यूक्रेन की कर रहा था. अगर ये मदद छिन जाती है, तो यूक्रेन को काफी नुकसान होगा. ऐसे में यूक्रेन का युद्ध में टिके रहना काफी मुश्किल होगा.
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