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This Article is From Mar 07, 2022

Russia Ukraine War: क्या यूक्रेन पर हमले से वैश्विक वित्तीय संकट पैदा हो सकता है?

विदेशी बैंकों में करीब 100 अरब डॉलर का रूसी कर्ज है. इससे रूस के बाहर बैंकों के लिए खतरे को लेकर सवाल पैदा हो गया है और भुगतान में चूक की संभावना के कारण 2008 की तरह नकदी संकट उत्पन्न होने की आशंका है.

Russia Ukraine War: क्या यूक्रेन पर हमले से वैश्विक वित्तीय संकट पैदा हो सकता है?
रूस पर लगे प्रतिबंध का असर सबसे अधिक यूरोपीय बैंकों , खासतौर पर ऑस्ट्रिया, फ्रांस और इटली के बैंकों पर पड़ेगा.
कार्डिफ (ब्रिटेन):

यूक्रेन की राजधानी कीव और अन्य शहरों पर रूसी हमले ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चतता को बढ़ा दिया है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इस युद्ध की निंदा करते हुए पश्चिमी देशों ने रूस के वित्तीय संस्थानों और व्यक्तियों को लक्षित करते हुए कुछ आर्थिक प्रतिबंधों की घोषणा की है. इन प्रतिबंधों में कुछ रूसी बैकों को अंतरराष्ट्रीय भुगतान के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ‘स्विफ्ट' संदेश प्रणाली से हटाना, रूसी कंपनियों और उद्योगियों की पश्चिमी देशों में मौजूद संपत्ति को फ्रीज करना और रूस के केंद्रीय बैंक को 630 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल करने से रोकना शामिल है.

इन कदमों के बाद कई रेटिंग एजेंसियों ने रूस की क्रेडिट रेटिंग को कम करके ‘जंक स्टेटस' (निवेश अधिक खतरे में) कर दिया है या संकेत दिया है कि जल्द वे ऐसा करेंगी. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो वे मानती हैं कि रूस द्वारा कर्जे का भुगतान करने में चूकने की आशंका पहले से अधिक है. वैश्विक बैंकों के समूह के मुताबिक, भुगतान करने में चूकने ‘‘की आशंका बहुत अधिक है.''

बैंकों को खतरा

विदेशी बैंकों में करीब 100 अरब डॉलर का रूसी कर्ज है. इससे रूस के बाहर बैंकों के लिए खतरे को लेकर सवाल पैदा हो गया है और भुगतान में चूक की संभावना के कारण 2008 की तरह नकदी संकट उत्पन्न होने की आशंका है. ऐसी स्थिति में बैंक अन्य बैंक की ऋण चुकाने की क्षमता को लेकर घबरा जाते हैं और एक दूसरे को कर्ज देना बंद कर देते हैं.

रूस पर लगे प्रतिबंध का असर सबसे अधिक यूरोपीय बैंकों , खासतौर पर ऑस्ट्रिया, फ्रांस और इटली के बैंकों पर पड़ेगा. बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट (बीआईएस) के आंकड़ों के मुताबिक, फ्रांस और इटली के बैंकों का करीब 25-25 अरब डॉलर कर्ज रूस पर है जबकि ऑस्ट्रियन बैंकों का 17.5 अरब डॉलर कर्ज रूस पर है.

इनकी तुलना में अमेरिकी बैंक 2014 में क्रीमिया के कब्जे के बाद से ही रूस की अर्थव्यवस्था से अपना संबंध घटा रहे हैं. हालांकि, इसके बावजूद सिटीग्रुप का करीब 10 अरब डॉलर रूस में लगा है, परंतु बैंक की कुल परिसंपत्ति के मुकाबले यह बहुत छोटी राशि है. यूक्रेन के भी कर्ज का भुगतान करने में चूकने की आशंका है. यूक्रेन के 60 अरब के बॉन्ड कर्ज की रेटिंग भी गिराकर ‘जंक' कर दी गई है.

कर्ज के अलावा अन्य कारणों से भी कई बैंक प्रभावित होंगे, क्योंकि वे या तो यूक्रेन में या रूस में बैंकिंग सेवा देते हैं. रेटिंग एजेंसी फिच के मुताबिक, फ्रांसीसी बैंक बीएनपी परीबास और क्रेडिट एग्रीकोल का संपर्क यूक्रेन से सबसे अधिक है, क्योंकि उनकी स्थानीय अनुषंगी शाखाएं उस देश में काम कर रही हैं.

सोसाइटी जनरल और यूनीक्रेडिट उन बैंकों में शामिल हैं, जिनका वृहद परिचालन रूस में है और उनका रूस पर सबसे अधिक कर्ज है. इसके अलावा यूरोपीय बैंकों के लिए एक और खराब खबर यूरो को डॉलर में बदलने पर आने वाले खर्च में वृद्धि है. बैंक इस बाजार का इस्तेमाल अधिकतर अंतरराष्ट्रीय कारोबार के लिए डॉलर जुटाने में करते हैं, ऐसे में उच्च दर होने से उनके मुनाफे पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा.

भुगतदान में चूक से बैंकों पर कुल मिलाकर खतरा कितना गंभीर है?

अमेरिकी निवेश कंपनी ‘मॉर्निंग स्टार' का मानना है कि यूरोपीय बैंकों का और अकेले अमेरिकी बैंक का रूस से संपर्क उनके विलायकता के संबंध में ‘‘महत्वहीन'' है. फिर भी खबर है कि यूरोपीय, अमेरिकी और जापानी बैंकों को गंभीर नुकसान हो सकता है और यह संभवत: 150 अरब डॉलर तक हो सकता है.

बैंक अन्य तरीके से भी प्रभावित हो सकते हैं. उदाहरण के लिए स्विट्जरलैंड, साइप्रस और अमेरिका रूसी उन उद्योगपतियों के बड़े ठिकाने हैं जो अपनी नकदी विदेश में जमा करना चाहते हैं. साइप्रस रूसी अमीरों को गोल्डन पासपोर्ट से आकर्षित करता है. इन देशों के संस्थानों पर इन प्रतिबंधों से कारोबार खोने का खतरा है. उदाहरण के लिए ‘ब्रिटिश बैंक लॉयड्स' और ‘नैटवेस्ट' के शेयरों में यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के बाद से 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है.

बैंकों से परे

बैंकों के अलावा युद्ध से उन कारोबारों को भी उल्लेखनीय नुकसान हो रहा है, जिनके रूस में हित हैं. जिस कंपनी का धन रूसी कारोबारी के पास है, उसे वापस पाने में संघर्ष करना पड़ेगा क्योंकि रूबल के दाम में 30 प्रतिशत की गिरावट आई है और स्विफ्ट पाबंदी से भुगतान में परेशानी आएगी. उदाहरण के लिए रॉयटर्स ने खबर दी है कि अमेरिकी कंपनियों का 15 अरब डॉलर रूस में फंसा है. इनमें से अधिकतर राशि को बट्टा खाता में डालना पड़ सकता है जिससे इन्हें नुकसान होगा.

एक खतरा यह है कि इससे इन कंपनियों के शेयरों की बिकवाली भय से होगी जिससे बाजार को झटका लगेगा, जैसा कि 2007-2008 में बैंकों के साथ हुआ था.

संक्षेप में कहें तो इस युद्ध का वृहद प्रभाव हो सकता है और यह आने वाले दिनों और हफ्तों में और स्पष्ट दिखाई देगा. वैश्विक अर्थव्यस्था महामारी से अब भी उबर रही है और उल्लेखनीय मुद्रास्फीति का सामना कर रही है. बाजार संवेदनशील स्थिति में हैं. रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले ने इस प्रतिकूल स्थिति का और विस्तार किया है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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