- रूस यूक्रेन युद्ध का केवल संघर्षविराम नहीं बल्कि इसका स्थायी और अंतिम समाधान चाहता है.
- रूस, यूक्रेन और अमेरिका के बीच कूटनीतिक समाधान के लिए वार्ता के काफी करीब पहुंचने के संकेत मिले हैं.
- रूस के खास दूत किरील दिमित्रियेव ने बातचीत को शांति स्थापित करने का एकमात्र रास्ता बताया है.
रूस, यूक्रेन युद्ध के 'निर्णायक समाधान' का लक्ष्य तय करके आगे बढ़ रहा है और उसे सिर्फ युद्धविराम नहीं चाहिए, यह कहना है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी और रूस के खास दूत किरील दिमित्रियेव का. शुक्रवार को उन्होंने सीएनएन को दिए इंटरव्यू में यह बात कही है. इसके साथ ही उएन्ह उन्होंने यह भी इशारा किया है कि रूस, यूक्रेन और अमेरिका अब 'कूटनीतिक समाधान के काफी करीब' हैं.
अंतिम समाधान चाहता है रूस
दिमित्रियेव इस समय अमेरिकी अधिकारियों के साथ मीटिंग्स के लिए अमेरिका में हैं. उन्होंने कहा कि इस वार्ता का मकसद स्थायी शांति स्थापित करना है. इससे रूस और यूक्रेन के बीच आगे कोई संघर्ष न हो. उन्होंने कहा, 'रूस वास्तव में सिर्फ संघर्षविराम नहीं चाहता बल्कि इस संघर्ष का अंतिम समाधान चाहता है.' उन्होंने कहा और जोड़ा कि संघर्षविराम अक्सर कम समय के होते हैं. कई लोग इसका इस्तेमाल पुनःसैन्यीकरण और संघर्ष को फिर से शुरू करने के लिए कर सकते हैं.'
प्रतिबंध कोई समस्या नहीं
सीएनएन के अनुसार दिमित्रियेव ने शनिवार को मियामी में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव व्हिटकोफ से मुलाकात की है. दिमित्रियेव ने ट्रंप की मध्यस्थता प्रयासों को लेकर उम्मीद बड़ा बयान जताई. उन्होंने कहा कि शांति का सिर्फ एक ही रास्ता है और वह है बातचीत. उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि बातचीत महत्वपूर्ण है. सिर्फ संवाद के जरिये से ही संघर्षों का समाधान किया जा सकता है. दिमित्रियेव ने प्रतिबंधों को लेकर भी बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा, 'प्रतिबंध कोई बड़ी समस्या नहीं हैं.' साथ ही यह इशारा भी किया रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा था कि रूस दबाव में कार्रवाई नहीं करेगा और पश्चिमी प्रतिबंध सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों को और बढ़ाएंगे.
बढ़ेंगी तेल की कीमतें
उनका कहना था, 'प्रतिबंध वास्तव में इतनी बड़ी समस्या नहीं हैं. राष्ट्रपति पुतिन ने कल दो बातें कही. उन्होंने कहा कि रूस कभी दबाव में कार्रवाई नहीं करेगा. और दूसरी बात, ये प्रतिबंध केवल वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें बढ़ाएंगे, अमेरिका में पेट्रोल की कीमतें बढ़ेंगी और रूस शायद कम तेल बेचते हुए भी अधिक कीमत में बेचेगा. इसलिए मुझे लगता है कि असली मुद्दा यह है कि वार्ता कैसे जारी रखा जाए, संकट का शांतिपूर्ण समाधान कैसे निकाला जाए. साथ ही असंभव समाधानों को आगे बढ़ाने के बजाय वास्तविक समाधान कैसे लाया जाए.'
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