मॉस्को:
इस्कॉन के संस्थापक भक्तिवेदांत प्रभूपाद के ग्रंथ 'गीता एज इट इज' पर रूस में चल रहे विवाद पर आज साइबेरियन शहर तोमस्क की हाईकोर्ट फैसला सुना सकती है। उधर, रूस में रह रहे हिन्दुओं का मानना है कि सरकार की तरफ से जानबूझ कर गीता एज इट इज को लेकर भ्रम फैलाया गया।
पिछले साल 28 दिसंबर को तोमस्क की लोअर कोर्ट ने गीता पर बैन का विरोध करनेवाली याचिका खारिज कर दी। दिसंबर में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के रूस दौरे के दौरान भी यह मामला उठा। उधर, भारत पर लिखनेवाले 20 रूसी विद्वानों ने अपनी सरकार को बैन न लगाने का सुझाव दिया है।
रूस में आरोप लगा कि भगवद 'गीता एज इट इज' में लिंब नस्ल राष्ट्रीयता और भाषा का भेदभाव है इसलिए साइबेरिया के तोमस्क में मामला गया। याचिका में गीता के इस अनुवाद को कट्टरपंथी सामग्री की सूची में शामिल करके इसे रखने, छापने और बांटने पर रोक लगाने की मांग की गई।
रूस में गीता को लेकर उठे विवाद पर लोकसभा में भी खासा हंगामा खड़ा हुआ। पिछले साल संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने कहा कि गीता विवाद को लेकर सरकार गंभीर है। रूसी सरकार के सामने भी यह मसला उठाया गया है।
पिछले साल 28 दिसंबर को तोमस्क की लोअर कोर्ट ने गीता पर बैन का विरोध करनेवाली याचिका खारिज कर दी। दिसंबर में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के रूस दौरे के दौरान भी यह मामला उठा। उधर, भारत पर लिखनेवाले 20 रूसी विद्वानों ने अपनी सरकार को बैन न लगाने का सुझाव दिया है।
रूस में आरोप लगा कि भगवद 'गीता एज इट इज' में लिंब नस्ल राष्ट्रीयता और भाषा का भेदभाव है इसलिए साइबेरिया के तोमस्क में मामला गया। याचिका में गीता के इस अनुवाद को कट्टरपंथी सामग्री की सूची में शामिल करके इसे रखने, छापने और बांटने पर रोक लगाने की मांग की गई।
रूस में गीता को लेकर उठे विवाद पर लोकसभा में भी खासा हंगामा खड़ा हुआ। पिछले साल संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने कहा कि गीता विवाद को लेकर सरकार गंभीर है। रूसी सरकार के सामने भी यह मसला उठाया गया है।
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