
एक ऐसा वैज्ञानिक जिसने दुनिया का पहला वर्किंग हाइड्रोजन बम बनाया था. जिसने 21 साल की उम्र में ही नोबेल जीतने वाले एनरिको फर्मी के अंदर पीएचडी पूरी कर ली थी. जिसे एनरिको फर्मी ने ऐसा अकेला 'सच्चा जिनियस' कहा था, जिससे वो मिले थे. हम बात कर रहे हैं रिचर्ड गार्विन की, जिनकी 13 मई 2025 को 97 वर्ष की उम्र में मृत्यु हो गई. उन्हें दुनिया का "ऐसा सबसे प्रभावशाली वैज्ञानिक जिसके बारे में आपने कभी नहीं सुना होगा" कहा जाता है. किसी भी पैमाने पर, रिचर्ड गारविन को 20वीं सदी के सबसे प्रतिष्ठित और सफल इंजीनियरों में से एक रहे हैं.
आज जब उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया है, आपको बताते हैं कि वो GOAT (ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम) की लिस्ट में क्यों गिने जाते हैं.
एडवर्ड टेलर को फादर ऑफ हाइड्रोजन बम कहा जाता है. गार्विन उन्हीं के स्टूडेंट थे. 23 साल की उम्र में और एडवर्ड टेलर के अंदर, गार्विन ने पहला वर्किंग हाइड्रोजन बम डिजाइन किया, जिसे "सॉसेज" कहा गया. नवंबर 1952 में एनेवेटक एटोल में टेस्ट कोड-नेम आइवी माइक में इसका विस्फोट किया गया, जिससे 10.4 मेगाटन टीएनटी निकला. हिरोशिमा बम की शक्ति से लगभग 700 गुना अधिक शक्तिशाली. अगले 50 साल तक उनके काम को कोई नहीं जान पाया क्योंकि उसे सार्वजनिक नहीं किया गया था. 2001 में न्यूयॉर्क टाइम्स ने एडवर्ड टेलर का इस 22 साल पूराना इंटरव्यू छापा था. उसमें टेलर ने गार्विन के डिजाइन की भरपूर प्रशंसा की था और घोषणा की, "वह पहला डिजाइन डिक गार्विन द्वारा बनाया गया था."
नई टेक्नोलॉजी में, हथियारों और सेटेलाइट के अलावा, उन्होंने टच स्क्रीन, मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (MRI), लेजर प्रिंटर और GPS तकनीक के आविष्कार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
उन्हें 2002 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने नेशनल मेडल ऑफ साइंस से सम्मानित किया था. 2016 में राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम से सम्मानित किया.
इनपुट फ्रॉम- द कन्वर्सेशन, IEEE स्पेक्ट्रम
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