विज्ञापन
This Article is From Oct 26, 2015

अनुसंधान : हजारों किलोमीटर दूर तक धरती की खासियत बदल सकता है भूकंप

अनुसंधान : हजारों किलोमीटर दूर तक धरती की खासियत बदल सकता है भूकंप
प्रतीकात्मक फोटो
वाशिंगटन: भूकंप जहां आते ही अपने असर दिखाता है वहीं गुजर जाने के बाद भी अपने असर छोड़ जाता है। भूकंप के कारण इसके केंद्र से हजारों किलोमीटर दूर तक का भू भाग डोलता ही नहीं बाद में इसके प्रभावों को भी झेलता है। एक नए शोध के निष्कर्षों में पाया गया है कि भूकंपों के कारण पृथ्वी की परत की खासियत 6000 किलोमीटर दूर तक बदल सकती है। भूकंप के चलते कुछ सप्ताह तक धरती की तनाव झेलने की सामर्थ्य बदल सकती है।

पृथ्वी गतिशील और आपस में जुड़ाव की प्रणाली
शोध से पता चला है कि पृथ्वी गतिशील होने के साथ-साथ आपस में जुड़ी प्रणाली है। शोधकर्ताओं ने पाया कि धरती की इसी खासियत के कारण भूकंप के बाद हजारों किलोमीटर दूर तक इसके प्रभाव दिखाने वाली घटनाएं हो सकती हैं।

धरती कुछ अरसे के लिए खो देती है तनाव झेलने की क्षमता
मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी के पृथ्वी, वायुमंडलीय एवं ग्रहीय विज्ञान विभाग के स्नातकोत्तर डाक्टर और लास एलामास नेशनल लेबोरेटरी में एंडूय डेलोरे के नेतृत्व वाले शोध दल के सदस्य कविन चाओ का कहना है कि ‘भूकंप से पृथ्वी की परत में 6000 किमी दूर तक के क्षेत्र में लचीलापन क्षमता में मूलभूत बदलाव आ सकता है जिससे कुछ हफ्ते तक तनाव झेलने की उसकी क्षमता बदल सकती है।’ उन्होंने कहा कि जब एक भूकंप की सतह तरंग एक अन्य फाल्ट क्षेत्र से गुजरती है तो यह सतहों को आपस में जुड़े रखने की घर्षण वाली विशेषताओं के संतुलन को बदल देती है। साथ ही वह लचीलापन जिससे सतह तनाव को झेलती है, भी बदल जाता है।

यह अध्ययन जर्नल साइंस एडवांसेस में प्रकाशित हुआ है। इसमें हिन्द महासागर के उत्तरी सुमात्रा तट पर 2012 में आए भूकंप का अध्ययन किया गया है। यह भूकंप 8.6 तीव्रता का है। इसके बाद जापान में दो भूकंप आए जिनकी तीव्रता 5.5 से अधिक थी।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
भूकंप, शोध, भूकंप का असर, पृथ्वी, धरती पर प्रभाव, Earthquake, Earthquake After Effects, Soil, Land, Research
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com