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गिलानी ने कहा कि गुप्त मेमो मामले में सेनाध्यक्ष और आईएसआई प्रमुख की ओर से उच्चतम न्यायालय को दिया गया जवाब ‘असंवैधानिक और अवैध’ है क्योंकि यह सरकार की अनुमति लिये बिना भेजा गया है।
गिलानी ने कहा कि सेनाध्यक्ष जनरल अशफाक परवेज कयानी और आईएसआई महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा की ओर से कथित गुप्त मेमो को लेकर उच्चतम न्यायालय में प्रतिक्रियाएं करने से पहले सक्षम प्राधिकारी की अनुमति प्राप्त नहीं की गई जैसा कि कार्य नियम के तहत जरूरी है।
उन्होंने चीन के पीपुल्स डेली आनलाइन से कहा कि रक्षा मंत्रालय ने इन दोनों जवाबों के लिए सक्षम प्राधिकारी से पूर्व अनुमति नहीं ली थी।
उन्होंने कहा कि किसी भी सरकारी अधिकारी की ओर से आधिकारिक कार्रवाई से पहले सरकार की पूर्व अनुमति लेनी आवश्यक है और ऐसा नहीं होने कार्रवाई ‘असंवैधानिक और अवैध’ है।
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