भारत (India) से बाहर रहने वाले प्रवासियों (Migrants) ने इस साल भारत में रिकॉर्ड स्तर पर पैसा भेजा है. इससे एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को एक नया बूस्ट मिलेगा. ब्लूमबर्ग के अनुसार, भारत दुनिया में सबसे अधिक रेमिटेंस (remittance) का पैसे भेजे जाने वाला देश बनने की कगार पर है. इस साल भारत में वित्त प्रेषण ( Remittance) का बहाव 12% अधिक रहा है. बुधवार को प्रकाशित हुई वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इस साल करीब $100 अरब का रेमिटेंस बढ़ा है. इससे भारत मैक्सिको, चीन और फिलिपीन्स में आने वाले पैसे की तुलना में कहीं आगे बढ़ गया है.
अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर जैसे अमीर देशों में भारत के कुशल कामगार प्रवासी रहते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, यह समूह अब भारत में अधिक पैसा भेज रहा है. पिछले कुछ सालों में भारतीय गल्फ देशों में कम तनख्वाह वाले काम से दूर हटे हैं. सैलरी बढ़ी है, रोजगार बढ़ा है और रुपया कमज़ोर हुआ है. यही वजहें रेमिटेंस में बढ़त का कारण बनी हैं.
दुनिया के सबसे बड़े डायस्पोरा से आने वाला पैसा भारत के लिए कैश का एक बड़ा स्त्रोत है. भरत ने पिछले साल अपने विदेशी मुद्रा खाते से करीब $100 बिलियन खो दिए थे. रेमिटेंस ( Remittance) भारत की कुल जीडीपी (gross domestic product) का 3 प्रतिशत है. यह भारत के लिए वित्तीय घाटे को भरने में भी मदद करता है.
वर्ल्ड बैंक ने भारतीय रिज़र्व बैंक के आंकड़ों के हवाले से बताया कि अधिक कमाई वाले देशों से भारत के लिए कैश ट्रांसफर 2020-21 में 36% पहुंच गया. यह 2016-2017 के 26% से कहीं अधिक है. इसी दौरान पांच गल्फ देशों जैसे सऊदी अरब, यूएई से यह रेमिटेंस 54% से घट कर 28% रह गया है.
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