पाकिस्‍तान के नए सेना प्रमुख असीम मुनीर की भारत के लिहाज से क्‍या है प्रासंगिकता...

 रक्षा मंत्रालय ने बताया कि वे, छह साल के कार्यकाल के बाद इस महीने के आखिर में रिटायर हो रहे जनरल कमर जावेद बाजवा का स्थान लेंगे.

पाकिस्‍तान के नए सेना प्रमुख असीम मुनीर की भारत के लिहाज से क्‍या है प्रासंगिकता...

असीम मुनीर पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी ISI के प्रमुख भी रह चुके हैं

कराची :

पाकिस्‍तान ने लेफ्टिनेंट-जनरल असीम मुनीर को सेना का प्रमुख नियुक्‍त किया है. इस नियुक्ति का पाकिस्तान के नाजुक लोकतंत्र के भविष्य पर महत्वपूर्ण असर होने की संभावना है. इस नियुक्ति से क्या भारत के साथ पाकिस्‍तान के संबंध भी सुधरेंगे, इस बारे में कुछ भी कहना अभी जल्‍दबाजी होगी.  रॉयटर्स के अनुसार, आजादी के 75 वर्षों के दौरान और भारत के साथ विभाजन के बाद पाकिस्तान के गठन के दौरान सेना ने तीन बार सत्ता पर कब्जा किया और तीन दशकों से अधिक समय तक सीधे तौर पर इस्लामी गणराज्य पर शासन किया. इस दौरान पाकिस्‍तान ने भारत के साथ तीन युद्ध भी लड़े. यहां तक ​​​​कि जब भी पाकिस्‍तान में लोकतांत्रिक सरकार सत्ता में होती है, तब भी मुल्‍क के जनरलों का सुरक्षा और विदेशी मामलों पर काफी प्रभाव रहता है. 

रक्षा मंत्रालय ने बताया कि मुनीर,  छह साल के कार्यकाल के बाद इस महीने के आखिर में रिटायर हो रहे जनरल कमर जावेद बाजवा का स्थान लेंगे. पाकिस्तान में तीन साल के लिए सेना प्रमुख की नियुक्ति की जाती है, लेकिन कई सेना प्रमुखों को सेवा विस्तार मिला है. इस फेहरिस्त में वर्तमान सेना प्रमुख जरनल बाजवा का नाम भी शामिल है, जिन्हें नवंबर 2016 में इस पद पर नियुक्त किया गया था, लेकिन साल 2019 में उन्हें तीन वर्ष के लिए सेवा विस्तार दे दिया गया. मुनीर की बात करें तो उन्‍होंने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK)और पाकिस्तान के अहम वित्तीय सहयोगी सऊदी अरब में भी सेवा दी है.  पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) प्रमुख के तौर पर असीम मुनीर की नियुक्ति हुई थी लेकिन वह इस पद पर केवल 8 महीने टिक सके. तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के कहने पर उन्हें पद से हटा कर लेफ्टिनेंट-जनरल फैज़ हमीद को ISI प्रमुख बना दिया गया था. उन्‍हें हटाने का कोई कारण नहीं बताया गया था. 

पाकिस्तान के सेना प्रमुख, अपनी पूर्वी सीमा पर भारत के साथ संघर्ष के जोखिमों के प्रबंधन के साथ-साथ पूर्वी सीमा पर अफगानिस्तान के साथ संभावित टकराव से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. पश्तून और बलूच क्षेत्रों में विद्रोह के कारण आंतरिक सुरक्षा की समस्‍या से भी पाकिस्‍तान जूझता रहा है.  कई विदेशी सरकारों ने समय-समय पर पाकिस्‍तान के परमाणु शस्त्रागार की सुरक्षा पर सवाल उठाया है, जिसमें लंबी दूरी की मिसाइलें शामिल हैं लेकिन पाकिस्तान और उसकी सेना अपने परमाणु हथियारों की कमान और नियंत्रण और सुरक्षा पर इन देशों की चिंताओं को सिरे से खारिज  की चिंताओं को खारिज करती रही है. 

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