इस्लमाबाद:
पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या की जांच कर रहे अधिकारियों ने पूर्व गृहमंत्री रहमान मलिक से पूछताछ करने का फैसला किया है।
पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ ने बताया था कि बेनजीर की सुरक्षा के ब्यौरे को लेकर पूरा फैसला रहमान मलिक ने ही किया था। इसके बाद मलिक से पूछताछ का फैसला किया गया। साल 2007 के आखिर में बेनजीर के आत्मनिर्वासन से मुल्क लौटने के बाद मलिक उनकी सुरक्षा के प्रमुख थे।
मुशर्रफ से पूछताछ करने वाले संघीय जांच एजेंसी (एफआईए के अधिकारी अब मलिक से भी इस मामले में पूछताछ करेंगे।
खबर है कि रविवार को हुई पूछताछ के दौरान मुशर्रफ ने बेनजीर के कत्ल में अपनी संलिप्तता से इनकार करते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या सुरक्षा में खामी की वजह से हुई और सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी रहमान मलिक के हाथों में थी।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेतृत्व वाली पिछली सरकार में एफआईए मलिक के तहत ही काम करती थी, क्योंकि वह देश के गृहमंत्री थे।
रहमान मलिक के गृहमंत्री रहते ही एफआईए को बेनजीर की हत्या की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। मामले की जांच के लिए संयुक्त दल का गठन भी मलिक ने किया था, लेकिन इसने इस संदर्भ में उनकी जांच कभी नहीं की। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मुशर्रफ का कहना है कि यह मलिक की जिम्मेदारी थी कि वह बेनजीर को बुलेटप्रूफ वाहन से बाहर नहीं आने देते, क्योंकि पुलिस उन्हें अंदर रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकती थी।
मुशर्रफ के वकील सलमान सफदर ने इसकी पुष्टि की है कि पूर्व राष्ट्रपति ने सवाल उठाया है कि अब तक एफआईए ने मलिक से पूछताछ क्यों नही की है। रावलपिंडी में 27 दिसंबर, 2007 को एक चुनावी सभा के दौरान बेनजीर की हत्या कर दी गई थी।
पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ ने बताया था कि बेनजीर की सुरक्षा के ब्यौरे को लेकर पूरा फैसला रहमान मलिक ने ही किया था। इसके बाद मलिक से पूछताछ का फैसला किया गया। साल 2007 के आखिर में बेनजीर के आत्मनिर्वासन से मुल्क लौटने के बाद मलिक उनकी सुरक्षा के प्रमुख थे।
मुशर्रफ से पूछताछ करने वाले संघीय जांच एजेंसी (एफआईए के अधिकारी अब मलिक से भी इस मामले में पूछताछ करेंगे।
खबर है कि रविवार को हुई पूछताछ के दौरान मुशर्रफ ने बेनजीर के कत्ल में अपनी संलिप्तता से इनकार करते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या सुरक्षा में खामी की वजह से हुई और सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी रहमान मलिक के हाथों में थी।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेतृत्व वाली पिछली सरकार में एफआईए मलिक के तहत ही काम करती थी, क्योंकि वह देश के गृहमंत्री थे।
रहमान मलिक के गृहमंत्री रहते ही एफआईए को बेनजीर की हत्या की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। मामले की जांच के लिए संयुक्त दल का गठन भी मलिक ने किया था, लेकिन इसने इस संदर्भ में उनकी जांच कभी नहीं की। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मुशर्रफ का कहना है कि यह मलिक की जिम्मेदारी थी कि वह बेनजीर को बुलेटप्रूफ वाहन से बाहर नहीं आने देते, क्योंकि पुलिस उन्हें अंदर रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकती थी।
मुशर्रफ के वकील सलमान सफदर ने इसकी पुष्टि की है कि पूर्व राष्ट्रपति ने सवाल उठाया है कि अब तक एफआईए ने मलिक से पूछताछ क्यों नही की है। रावलपिंडी में 27 दिसंबर, 2007 को एक चुनावी सभा के दौरान बेनजीर की हत्या कर दी गई थी।
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