चार अरब देशों ने कतर के साथ अपने सभी तरह के संबंध समाप्त कर लिए हैं
काहिरा:
आतंकवाद के आरोपों के बीच दुनियाभर के देशों की आलोचना और कई तरह के प्रतिबंधों को झेल रहे कतर ने एकबार फिर कड़ा रुख अपनाते हुए चार अरब देशों के उस बयान को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया है कि कतर आतंकवाद के बढ़ावा दे रहा है.
बता दें कि चार अरब देश सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र और बहरीन ने गुरुवार को एक संयुक्त बयान में कहा कि दोहा को राजनयिक गतिरोध समाप्त करने के लिए उनकी मांगों को नामंजूर करना ही कतर के आतंकवादी समूहों से संबंध होने का प्रमाण है. इनका आरोप है कि कतर इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा जैसे आतंकी समूहों का समर्थन करता है. कतर पर ईरान का समर्थन करने का भी आरोप है.
मीडिया ख़बरों के मुताबिक, इन चार देशों कहा कि उनकी सभी 13 मांगों की समयसीमा अब खत्म हो गई है. उन्होंने कतर के खिलाफ और अधिक राजनीतिक, आर्थिक और कानूनी कदमों उठाने की बात कही है.
इन चार देशों के कदम पर अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए कतर ने उनके इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया कि कतर आतंकवाद को संरक्षण और बढ़ावा दे रहा है. वहां की मीडिया के मुताबिक, कतर सभी आरोपों का जवाब देने और इनकी समीक्षा के लिए तैयार था जिनमें दावा किया गया है कि कतर देश की संप्रभुता का विरोधी है.
बता दें कि पिछले महीने जून में आतंकवाद के मुद्दे पर सऊदी अरब, मिस्र, संयुक्त अरब अमिरात और बहरीन जैसे गल्फ देशों ने कतर के साथ अपने संबंध समाप्त कर लिए हैं. सऊदी अरब ने कतर के साथ हर तरह के समुद्री और हवाई रिश्तों को भी तोड़ दिया है. साथ ही सऊदी अरब ने क़तर के न्यूज़ नेटवर्क अल जज़ीरा के ऑफिस को बंद करके उसका ब्रॉडकास्टिंग लाइसेंस रद्द कर दिया है. मिस्र, बहरीन, सऊदी अरब और सयुंक्त अरब अमीरात ने अल जज़ीरा की वेबसाइट को ब्लॉक कर दिया है.
अरब देशों ने कतर के सामने जो 13 मांग रखी हैं उनमें 10 दिन के भीतर ईरान के साथ संबंधों को कम करने, तुर्की के सैन्य अड्डे को बंद करने और न्यूज चैनल अल-जजीरा को बंद करना और मुस्लिम ब्रदरहुड के लिए समर्थन कम करने की मांग शामिल है.
अरब देशों की 10 दिन की समयसीमा समाप्त होने के बाद बुधवार को काहिरा में आयोजित चार राज्यों के विदेश मंत्रियों ने बैठक बुलाई. इसमें उन्होंने कतर की प्रतिक्रिया को नकारात्मक कहते हुए निंदा की.
कतर का कहना है कि अरब देशों की मांग इतनी कठिन है कि इन मांगों से उसे शक होता है कि ये चार अरब देश उसके साथ बातचीत करने के लिए गंभीर भी हैं. कतर का कहना है कि वह अपने सहयोगी जीसीसी (खाड़ी सहयोग परिषद) सदस्य देशों के लिए किसी भी वैध मुद्दे के उचित और सिर्फ समाधान के लिए बातचीत करने में रुचि रखता है.
उधर, खाड़ी देशों के बीच पनपे तनाव को कम करने के लिए ब्रिटेन के विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन शुक्रवार को साऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और आबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन ज़ैद अल नाहयान से मिलने के लिए सऊदी अरब पहुंच गए. जॉनसन कतर और कुवैत की भी यात्रा करेंगे.
ब्रिटेन के अलावा अमेरिका के विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन सोमवार को कतर जाएंगे जहां वह कतर संकट का समाधान खोजने का प्रयास करेंगे. संभावना है कि टिलरसन कतर संकट के समाधान हेतु मध्यस्थता कर रहे कुवैती अधिकारियों से भी मिलेंगे.
बता दें कि चार अरब देश सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र और बहरीन ने गुरुवार को एक संयुक्त बयान में कहा कि दोहा को राजनयिक गतिरोध समाप्त करने के लिए उनकी मांगों को नामंजूर करना ही कतर के आतंकवादी समूहों से संबंध होने का प्रमाण है. इनका आरोप है कि कतर इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा जैसे आतंकी समूहों का समर्थन करता है. कतर पर ईरान का समर्थन करने का भी आरोप है.
मीडिया ख़बरों के मुताबिक, इन चार देशों कहा कि उनकी सभी 13 मांगों की समयसीमा अब खत्म हो गई है. उन्होंने कतर के खिलाफ और अधिक राजनीतिक, आर्थिक और कानूनी कदमों उठाने की बात कही है.
इन चार देशों के कदम पर अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए कतर ने उनके इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया कि कतर आतंकवाद को संरक्षण और बढ़ावा दे रहा है. वहां की मीडिया के मुताबिक, कतर सभी आरोपों का जवाब देने और इनकी समीक्षा के लिए तैयार था जिनमें दावा किया गया है कि कतर देश की संप्रभुता का विरोधी है.
बता दें कि पिछले महीने जून में आतंकवाद के मुद्दे पर सऊदी अरब, मिस्र, संयुक्त अरब अमिरात और बहरीन जैसे गल्फ देशों ने कतर के साथ अपने संबंध समाप्त कर लिए हैं. सऊदी अरब ने कतर के साथ हर तरह के समुद्री और हवाई रिश्तों को भी तोड़ दिया है. साथ ही सऊदी अरब ने क़तर के न्यूज़ नेटवर्क अल जज़ीरा के ऑफिस को बंद करके उसका ब्रॉडकास्टिंग लाइसेंस रद्द कर दिया है. मिस्र, बहरीन, सऊदी अरब और सयुंक्त अरब अमीरात ने अल जज़ीरा की वेबसाइट को ब्लॉक कर दिया है.
अरब देशों ने कतर के सामने जो 13 मांग रखी हैं उनमें 10 दिन के भीतर ईरान के साथ संबंधों को कम करने, तुर्की के सैन्य अड्डे को बंद करने और न्यूज चैनल अल-जजीरा को बंद करना और मुस्लिम ब्रदरहुड के लिए समर्थन कम करने की मांग शामिल है.
अरब देशों की 10 दिन की समयसीमा समाप्त होने के बाद बुधवार को काहिरा में आयोजित चार राज्यों के विदेश मंत्रियों ने बैठक बुलाई. इसमें उन्होंने कतर की प्रतिक्रिया को नकारात्मक कहते हुए निंदा की.
कतर का कहना है कि अरब देशों की मांग इतनी कठिन है कि इन मांगों से उसे शक होता है कि ये चार अरब देश उसके साथ बातचीत करने के लिए गंभीर भी हैं. कतर का कहना है कि वह अपने सहयोगी जीसीसी (खाड़ी सहयोग परिषद) सदस्य देशों के लिए किसी भी वैध मुद्दे के उचित और सिर्फ समाधान के लिए बातचीत करने में रुचि रखता है.
उधर, खाड़ी देशों के बीच पनपे तनाव को कम करने के लिए ब्रिटेन के विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन शुक्रवार को साऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और आबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन ज़ैद अल नाहयान से मिलने के लिए सऊदी अरब पहुंच गए. जॉनसन कतर और कुवैत की भी यात्रा करेंगे.
ब्रिटेन के अलावा अमेरिका के विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन सोमवार को कतर जाएंगे जहां वह कतर संकट का समाधान खोजने का प्रयास करेंगे. संभावना है कि टिलरसन कतर संकट के समाधान हेतु मध्यस्थता कर रहे कुवैती अधिकारियों से भी मिलेंगे.
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