अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई (फाइल फोटो)
काबुल:
अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने कहा है कि अमेरिकी सैन्य और खुफिया एजेंसियों की निगरानी में पिछले तीन-चार सालों के दौरान आतंकवादी संगठन, इस्लामिक स्टेट (आईएस) उनके देश में उभर कर सामने आया है. लंदन में 'रशिया टुडे' के साथ एक इंटरव्यू में करजई ने कहा कि उन्हें संदेह है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी अड्डों का इस्तेमाल आईएस की सहायता के लिए किया जाता है. उन्होंने कहा, 'अफगानिस्तान के कई हिस्सों में सैन्य हेलीकाप्टरों द्वारा आईएसए को आपूर्ति किए जाने की दैनिक खबरें मुझे अफगानी लोगों से मिली हैं.'
करजई ने कहा कि 9/11 से आज तक, अरबों डॉलर खर्च करने के बावजूद अफगानिस्तान में चरमवाद सिर उठाए हुए है. उन्होंने कहा कि अफगानी लोग पूछते हैं कि अगर अमेरिका अफगानिस्तान में आतंकवाद को हराने के लिए आया था, तो 'आज वह इतना अधिक क्यों है'? करजई ने कहा, 'हम नहीं चाहते हैं कि हमारे देश में विशाल, विनाशकारी हथियारों से बमबारी करनी चाहिए. हम शांति चाहते हैं.'
यह भी पढ़ें : भारत क्यों नहीं अफगानिस्तान में भेजता अपने सैनिक, अमेरिका के रक्षा मंत्री ने बताई एक बड़ी वजह
उन्होंने कहा कि अमेरिकी बलों द्वारा एमओएबी (बमों का बाप) का इस्तेमाल उत्तर कोरिया को अमेरिकी शक्ति का अंदाजा कराने का एक संकेत था, लेकिन यह अफगान लोगों पर एक क्रूरता थी. इस साल 13 अप्रैल को अमेरिका ने पूर्वी अफगानिस्तान में आईएस द्वारा उपयोग किए जाने वाले एक सुरंग परिसर पर अपने एक सबसे बड़े गैर-परमाणु बम को गिराया था. अफानिस्तान में इस तरह के हथियार का इस्तेमाल पहली बार किया गया था. उन्होंने कहा, 'विशेष रूप से विदेशी सेनाओं द्वारा सैन्य कार्रवाई, शांति नहीं लाएगी. अफगानों को समझौते की तलाश के लिए तालिबान समेत सभी लोगों तक पहुंच बनाने के लिए आम सहमति तैयार करने की जरूरत है.' पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका को शांति लाने के लिए चीन, रूस, पाकिस्तान समेत भारत में सहकारी साझेदार बनने की जरूरत है.
VIDEO : काबुल में भारतीय दूतावास के पास जोरदार धमाका, 50 की मौत
पाकिस्तान के संबंध में करजई ने कहा कि उन्हें पाकिस्तान के साथ मिलकर रहना होगा. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ उनके रिश्ते में दो मजबूत विरोधाभास हैं, 'जब हम शरणार्थी बने, तो पाकिस्तानी लोगों ने हमारा स्वागत किया. लेकिन उन्होंने मुजाहिदीन (सोवियत के खिलाफ) का समर्थन करने का खतरनाक काम किया, जिसने हमारे समाज को कमजोर कर दिया.' करजई ने कहा कि उन्हें लगता है कि क्षेत्र के लिए नई अमेरिकी नीति में एक अमानवीय उद्देश्य के लिए अमेरिका पाकिस्तान का इस्तेमाल उसके पड़ोसी देश के खिलाफ करेगा. उन्होंने कहा कि वह पाकिस्तान के साथ इसलिए हाथ मिलाना चाहते हैं, ताकि 'हम इस गहरी साजिश से बच सकें.'
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
करजई ने कहा कि 9/11 से आज तक, अरबों डॉलर खर्च करने के बावजूद अफगानिस्तान में चरमवाद सिर उठाए हुए है. उन्होंने कहा कि अफगानी लोग पूछते हैं कि अगर अमेरिका अफगानिस्तान में आतंकवाद को हराने के लिए आया था, तो 'आज वह इतना अधिक क्यों है'? करजई ने कहा, 'हम नहीं चाहते हैं कि हमारे देश में विशाल, विनाशकारी हथियारों से बमबारी करनी चाहिए. हम शांति चाहते हैं.'
यह भी पढ़ें : भारत क्यों नहीं अफगानिस्तान में भेजता अपने सैनिक, अमेरिका के रक्षा मंत्री ने बताई एक बड़ी वजह
उन्होंने कहा कि अमेरिकी बलों द्वारा एमओएबी (बमों का बाप) का इस्तेमाल उत्तर कोरिया को अमेरिकी शक्ति का अंदाजा कराने का एक संकेत था, लेकिन यह अफगान लोगों पर एक क्रूरता थी. इस साल 13 अप्रैल को अमेरिका ने पूर्वी अफगानिस्तान में आईएस द्वारा उपयोग किए जाने वाले एक सुरंग परिसर पर अपने एक सबसे बड़े गैर-परमाणु बम को गिराया था. अफानिस्तान में इस तरह के हथियार का इस्तेमाल पहली बार किया गया था. उन्होंने कहा, 'विशेष रूप से विदेशी सेनाओं द्वारा सैन्य कार्रवाई, शांति नहीं लाएगी. अफगानों को समझौते की तलाश के लिए तालिबान समेत सभी लोगों तक पहुंच बनाने के लिए आम सहमति तैयार करने की जरूरत है.' पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका को शांति लाने के लिए चीन, रूस, पाकिस्तान समेत भारत में सहकारी साझेदार बनने की जरूरत है.
VIDEO : काबुल में भारतीय दूतावास के पास जोरदार धमाका, 50 की मौत
पाकिस्तान के संबंध में करजई ने कहा कि उन्हें पाकिस्तान के साथ मिलकर रहना होगा. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ उनके रिश्ते में दो मजबूत विरोधाभास हैं, 'जब हम शरणार्थी बने, तो पाकिस्तानी लोगों ने हमारा स्वागत किया. लेकिन उन्होंने मुजाहिदीन (सोवियत के खिलाफ) का समर्थन करने का खतरनाक काम किया, जिसने हमारे समाज को कमजोर कर दिया.' करजई ने कहा कि उन्हें लगता है कि क्षेत्र के लिए नई अमेरिकी नीति में एक अमानवीय उद्देश्य के लिए अमेरिका पाकिस्तान का इस्तेमाल उसके पड़ोसी देश के खिलाफ करेगा. उन्होंने कहा कि वह पाकिस्तान के साथ इसलिए हाथ मिलाना चाहते हैं, ताकि 'हम इस गहरी साजिश से बच सकें.'
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं