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This Article is From Dec 15, 2014

सिडनी संकट खत्म, कमांडो कार्रवाई में बंधक बनाने वाले बंदूकधारी की मौत

सि़डनी:

ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख शहर सिडनी के मार्टिन प्लेस स्थित एक कैफे में 17 घंटों तक चला बंधक संकट आखिरकार खत्म हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान दो लोगों की हार्ट अटैक से मौत हो गई, जबकि तीन घायलों की हालत गंभीर बनी हुई है।

इस बीच, सिडनी पुलिस ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि बंधक बनाने वाला बंदूकधारी भी इस कार्रवाई में मारा गया है। वहीं बंधकों में शामिल दोनों भारतीय भी सुरक्षित बाहर निकल गए हैं।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्त सैयद अकबरुद्दीन ने ट्वीट कर बताया कि सिडनी बंधक संकट में दो भारतीय फंसे थे, जिनका नाम पुष्पेंदु घोष और अंकित रेड्डी है। ये दोनों ही सुरक्षित बाहर निकल चुके हैं।

इससे पहले कैफे में बंदूकधारी की गतिविधियां स्थानीय समय के अनुसार सुबह नौ बजे शुरू हुईं और आधी रात खत्म होने के बाद तक जारी रहीं। ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने बंदूकधारी की पहचान हारून मोनिस के तौर पर की है, जिसे ऑस्ट्रेलिया में राजनीतिक शरण हासिल थी।

बंदूकधारी के पूर्व वकील ने 50 वर्ष के इस शख्स को अलग थलग रहने वाला व्यक्ति बताया, जो अकेले इस घटना को अंजाम दे रहा था। यह बंदूकधारी 1996 में शरणार्थी के तौर पर ऑस्ट्रेलिया आया था। वह अफगानिस्तान में अपनी जान गंवाने वाले ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों के परिवारों को चिट्ठियां लिखकर चर्चा में आया, जिन्हें वह हत्यारे कहा करता था।

पिछले साल नवंबर में उस पर अपनी पूर्व पत्नी की हत्या में शामिल होने का आरोप लगा, जिसे उसके आवासीय परिसर में चाकू घोंपकर मौत के घाट उतार दिया गया था। वहीं मार्च में उस पर एक युवती के यौन शोषण और उसपर अभद्र हमला करने का आरोप लगा।

पुलिस ने आरोप लगाया है कि मोनिस स्वयंभू 'तांत्रिक' था और वेंटवर्थविल में स्टेशन स्ट्रीट परिसरों में सक्रिय रहता था। आरोप है कि वह स्थानीय अखबारों में विज्ञापन देकर लोगों को 'आध्यात्मिक सलाह' देने की पेशकश करता था। उसका दावा था कि वह ज्योतिष, अंकशास्त्र, ध्यान और काले जादू का माहिर है।

न्यूसाउथ वेल्स के इस राजधानी शहर में लोगों को बंधक बनाए जाने के बारे में सूचना मिलते ही अधिकारियों ने निकटवर्ती सड़कों को सील कर दिया। आसपास की इमारतों को खाली करा लिया और रेल सेवाएं निलंबित कर दीं।

पुलिस ने क्रिसमस से ऐन पहले हुई इस घटना से निपटने के लिए टास्क फोर्स पायनियर को सक्रिय कर दिया, जिसका इस्तेमाल आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं में किया जाता है।

शहर के बीचोंबीच स्थित मार्टिन प्लेस एक व्यस्त इलाका है, जो संसदीय, कानूनी और खुदरा परिसरों को जोड़ता है..सिडनी ओपेरा हाउस, स्टेट लायब्रेरी, अमेरिका वाणिज्य दूतावास और तमाम अदालते यहीं हैं, जिन्हें घटना के बाद खाली करा लिया गया।

वहीं इंफोसिस के बेंगलुरू स्थित मुख्यालय ने बताया कि बंधकों में उसका कम से कम एक कर्मचारी शामिल है। कंपनी ने व्यक्ति का नाम लिए बगैर एक बयान में कहा है, 'हम इसकी पुष्टि कर सकते हैं कि सिडनी के लिंट चॉकलेट कैफे में इंफोसिस का कम से कम एक कर्मचारी बंधक है।'

वहीं रिपोर्ट के मुताबिक, टेलीविजन फुटेज में यह दिख रहा था कि कैफे की खिड़की पर हाथ टिकाए लोग काला झंडा लिए खड़े हैं, जिसपर अरबी लिपि शहादा में मस्जिद में रोज पढ़ी जाने वाली नमाज का मजमून लिखा है। प्रदर्शित झंडा 'इस्लामिक स्टेट' का नहीं है। सरकार का कहना है कि यह झंडा जिहादी समूहों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले झंडों जैसा दिख रहा है। काले झंडे पर लिखा है 'अल्लाह के अलावा और कोई खुदा नहीं है, मोहम्मद उनके दूत हैं।' (एजेंसी इनपुट के साथ)

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