पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि वह समय से पहले नेशनल असेंबली भंग करने के लिए बुधवार को राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को पत्र लिखेंगे. उनके इस कदम का मकसद साल के अंत में प्रस्तावित आम चुनावों के लिए अतिरिक्त समय पाना है. हालांकि इसमें देश के सबसे लोकप्रिय राजनेता इमरान खान शामिल नहीं होंगे. पिछले साल अप्रैल में पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टार को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद से देश में राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है. शरीफ ने इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमारी(सरकार का) कार्यकाल कल पूरा करने के बाद, मैं असेंबली भंग करने के लिए राष्ट्रपति को पत्र लिखूंगा और इसकी सिफारिश करूंगा.. इसके बाद एक अंतरिम सरकार सत्ता संभालेगी.''
संसद के निचले सदन का पांच साल का कार्यकाल 12 अगस्त को समाप्त हो रहा है. राष्ट्रपति अल्वी के प्रधानमंत्री की सलाह स्वीकार नहीं करने की स्थिति में असेंबली इसके (सलाह देने के) 48 घंटों के अंदर स्वत: ही भंग हो जाएगी. अल्वी, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के पूर्व नेता हैं. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार की खबर के अनुसार, प्रधानमंत्री पद छोड़ने का संकेत देते हुए शहबाज ने रावलपिंडी में पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय का मंगलवार को दौरा किया.
प्रधानमंत्री का चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल आसिम मुनीर ने गर्मजोशी से स्वागत किया. इस बीच, डॉन अखबार की खबर के अनुसार, नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता राजा रियाज ने कहा कि उन्होंने कार्यवाहक प्रधानमंत्री के नामों के सिलसिले में प्रधानमंत्री से अब तक मुलाकात नहीं की है, ना ही मशविरा किया है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं कल मिलने की उम्मीद कर रहा हूं जिसमें इन चीजों पर चर्चा होगी.'' उन्होंने कहा कि परामर्श सही समय पर होगा.
रियाज ने कहा कि उन्होंने सहयोगी दलों के साथ परामर्श प्रक्रिया पूरी कर ली है और कार्यवाहक प्रधानमंत्री के लिए तीन नामों पर लगभग 90 प्रतिशत सहमति बन गई है. राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा है कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) नीत गठबंधन सरकार और दो दिन सत्ता में रह सकती है और संसद को 11 अगस्त को भंग करेगी, लेकिन यह अंदेशा है कि राष्ट्रपति अल्वी नेशनल असेंबली भंग करने की अधिसूचना तुरंत जारी करने से इनकार कर सकते हैं.
यही कारण है कि नेशनल असेंबली भंग करने की सलाह तीन दिन पहले दी जा रही है ताकि राष्ट्रपति के इस पर सहमत होने से इनकार करने की स्थिति में भी सदन अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले भंग हो जाए. इससे निर्वाचन आयोग को चुनावों को लिए 90 दिन का समय मिल जाएगा. नेशनल असेंबली के अपना कार्यकाल पूरा करने की स्थिति में निर्वाचन आयोग 60 दिनों के अंदर चुनाव कराने के लिए आबद्ध है.
इस बीच, गृह मंत्री राणा सनाउल्ला ने कहा कि आम चुनाव कराने में विलंब होने की संभावना है. उन्होंने मंगलवार को जियो न्यूज को दिये एक साक्षात्कार में कहा कि 2023 चुनावी साल नहीं है. सनाउल्ला ने कहा कि जनगणना अधिसूचित होने के बाद परिसीमन प्रक्रिया पूरी करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘‘कार्यवाहक सरकार इस संवैधानिक जरूरत को पूरा करते हुए परिसीमन प्रक्रिया पूरी करेगी.''
मंत्री ने कहा कि इस प्रक्रिया में 120 दिन लगेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘परिसीमन की यह प्रक्रिया जितनी जल्द पूरी हो जाएगी, उसके बाद अल्लाह ने चाहा तो चुनाव हो जाएंगे.'' कार्यवाहक प्रधानमंत्री की भूमिका के लिए विचारार्थ नाम के बारे में सनाउल्ला ने कहा कि चर्चा जारी है और अभी तक किसी नाम पर निर्णय नहीं लिया गया है.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं