प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में वहां के राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ 1,700 करोड़ रुपये की लागत से बने अफगानिस्तान-भारत मैत्री बांध, सलमा बांध का आज (शनिवार को) उद्घाटन करेंगे।
भारत सरकार ने करवाया है इस परियोजना का निर्माण...
भारत की सरकार ने प्रांत के चिश्त ए शरीफ नदी पर इस बहुद्देशीय परियोजना का निर्माण कराया है, जिससे 75 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई हो सकती है और 42 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकती है। इसके अलावा स्थानीय लोगों को जलापूर्ति एवं अन्य फायदे होंगे।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि ऐतिहासिक परियोजना बताया जा रहा यह बांध हेरात शहर से 165 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। बयान में कहा गया है, 'सुरक्षा कारणों से परियोजना में लगे भारतीय इंजीनियर और तकनीशियन हेलीकॉप्टर से महीने में एक बार स्थल तक पहुंचते थे।' मंत्रालय ने कहा कि 'बांध के काम के लिए जरूरी सभी उपकरण और सामग्री भारत से ईरान के बंदर ए अब्बास बंदरगाह होते हुए 1,200 किलोमीटर लंबे सड़क मार्ग से ईरान..अफगानिस्तान की सीमा इस्लाम किला तक लाया गया और फिर सीमावर्ती चौकी से 300 किलोमीटर सड़क मार्ग से वहां तक ले जाया गया।'
इसने कहा, 'सीमेंट, स्टील आदि पड़ोसी देशों से अफगानिस्तान में आयात किए गए। बांध की कुल क्षमता 63.3 करोड़ घनमीटर है। बांध की ऊंचाई 104.3 मीटर, लंबाई 540 मीटर और चौड़ाई 450 मीटर है।' मंत्रालय ने कहा कि बांध परियोजना को पूरा किया जाना बेहद कठिन परिस्थितियों में तकरीबन 1,500 भारतीय और अफगान इंजीनियरों और अन्य पेशेवरों के कठोर परिश्रम को दर्शाता है जो पूरी तरह भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित है।'
परियोजना पर वैप्कोस लिमिटेड ने काम किया और इसे पूरा किया जो जल संसाधन मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक उपक्रम है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
भारत सरकार ने करवाया है इस परियोजना का निर्माण...
भारत की सरकार ने प्रांत के चिश्त ए शरीफ नदी पर इस बहुद्देशीय परियोजना का निर्माण कराया है, जिससे 75 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई हो सकती है और 42 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकती है। इसके अलावा स्थानीय लोगों को जलापूर्ति एवं अन्य फायदे होंगे।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि ऐतिहासिक परियोजना बताया जा रहा यह बांध हेरात शहर से 165 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। बयान में कहा गया है, 'सुरक्षा कारणों से परियोजना में लगे भारतीय इंजीनियर और तकनीशियन हेलीकॉप्टर से महीने में एक बार स्थल तक पहुंचते थे।' मंत्रालय ने कहा कि 'बांध के काम के लिए जरूरी सभी उपकरण और सामग्री भारत से ईरान के बंदर ए अब्बास बंदरगाह होते हुए 1,200 किलोमीटर लंबे सड़क मार्ग से ईरान..अफगानिस्तान की सीमा इस्लाम किला तक लाया गया और फिर सीमावर्ती चौकी से 300 किलोमीटर सड़क मार्ग से वहां तक ले जाया गया।'
इसने कहा, 'सीमेंट, स्टील आदि पड़ोसी देशों से अफगानिस्तान में आयात किए गए। बांध की कुल क्षमता 63.3 करोड़ घनमीटर है। बांध की ऊंचाई 104.3 मीटर, लंबाई 540 मीटर और चौड़ाई 450 मीटर है।' मंत्रालय ने कहा कि बांध परियोजना को पूरा किया जाना बेहद कठिन परिस्थितियों में तकरीबन 1,500 भारतीय और अफगान इंजीनियरों और अन्य पेशेवरों के कठोर परिश्रम को दर्शाता है जो पूरी तरह भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित है।'
परियोजना पर वैप्कोस लिमिटेड ने काम किया और इसे पूरा किया जो जल संसाधन मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक उपक्रम है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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