
- PM मोदी ने तियानजिन में SCO सम्मेलन में भारत की नीति के 3 स्तंभों सुरक्षा, कनेक्टिविटी और अवसरों पर जोर डाला.
- मोदी ने आतंकवाद और अलगाववाद को सुरक्षा और स्थिरता के लिए बड़ा खतरा बताया है.
- चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने SCO की प्रगति और सहयोग की ऐतिहासिक सफलताओं को रेखांकित किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में भारत की सोच और नीति का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि भारत की सोच और नीति 'S - सिक्यूरिटी, C- कनेक्टिविटी और O- ऑपर्च्युनिटी' पर आधारित है. पीएम मोदी ने एससीओ बैठक में कहा, 'मुझे एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेकर खुशी हो रही है. मैं राष्ट्रपति शी जिनपिंग को हमारे भव्य स्वागत के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं. आज उज्बेकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस है. मैं उन्हें भी बधाई देता हूं.'
आतंकवाद और अलगाववाद बड़े खतरे
पीएम मोदी ने एससीओ का जिक्र करते हुए कहा, 'भारत ने एससीओ के सदस्य के रूप में बहुत सकारात्मक भूमिका निभाई है. एससीओ के लिए भारत की दृष्टि और नीति तीन महत्वपूर्ण स्तंभों पर आधारित है, जिनमें एस- सिक्यूरिटी, सी- कनेक्टिविटी और ओ- ऑपर्च्युनिटी शामिल हैं. पहला स्तंभ सुरक्षा है. सुरक्षा, शांति और स्थिरता किसी भी देश की प्रगति और विकास का आधार हैं. लेकिन, आतंकवाद और अलगाववाद जैसे बड़े खतरे इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में बाधा डालते हैं. आतंकवाद न केवल अलग-अलग देशों की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह पूरे मानवता के लिए एक गंभीर चुनौती है.'
SCO के भविष्य पर जोर...
इसके अलावा, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सोमवार को तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की. इस दौरान उन्होंने सदस्य देशों को संबोधित करते हुए संगठन की प्रगति और भविष्य पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि एससीओ ने अपने विकास और सहयोग में ऐतिहासिक सफलताएं हासिल की हैं, जो इसकी ताकत को दर्शाती हैं.

पीएम मोदी के फोटो सेशन से जुड़ी तस्वीर
इससे पहले, पीएम मोदी ने फोटो सेशन से जुड़ी तस्वीर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किया था. उन्होंने लिखा, 'तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन में.' बता दें कि एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी इस साल चीन कर रहा है. इस समूह में आठ सदस्य देश शामिल हैं और इसका फोकस यूरेशियाई क्षेत्र में राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग पर केंद्रित है. यह पहला मौका है, जब प्रधानमंत्री मोदी सात साल बाद चीन पहुंचे हैं, जो भारत और चीन के बीच 2020 के सीमा विवाद के बाद जटिल द्विपक्षीय संबंधों के बीच विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.
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