प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के अग्रणी पंक्ति के नेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का अनुसरण करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा में आज हिन्दी में भाषण दिया।
चार माह पहले प्रधानमंत्री बनने के बाद से हिन्दी में ही राजनयिक वार्ता कर रहे मोदी ने आज संरा महासभा में अपना 35 मिनट का संबोधन हिन्दी में किया।
वाजपेयी 1998 से 2004 के बीच प्रधानमंत्री रहे थे और उन्होंने संरा महासभा की सहस्राब्दि शिखर बैठक को हिन्दी में संबोधित किया था।
इससे पहले भी वाजपेयी ने 1977 में जनता पार्टी की सरकार में विदेश मंत्री के तौर पर संरा महासभा के सत्र को संबोधित किया था। हिन्दी संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषाओं में शामिल नहीं है।
मोदी ने आज अपने संबोधन में भारतीय संस्कृति एवं परंपराओं के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा, 'भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपको संबोधित करना वास्तव में एक बड़े सम्मान की बात है। मैं यहां खड़े होते समय भारत के लोगों की उम्मीदों एवं आकांक्षाओं से अवगत हूं।'
भारत का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, 'भारत में मानवता की एक बटा छह आबादी रहती है, एक ऐसा राष्ट्र जो तेजी से आर्थिक एवं सामाजिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है जो इतिहास में बिरले ही देखने को मिलता है।' उन्होंने कहा, 'प्रत्येक राष्ट्र का वैश्विक दृष्टिकोण उसकी सभ्यता एवं दार्शनिक परंपरा से तय होता है। भारत की प्राचीन मनीषा वसुधव कुटम्बकम् के रूप में देखती है।'
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