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This Article is From Jun 07, 2015

ढाका में पाकिस्तान पर बरसे पीएम मोदी, आतंकवाद को शह देने का लगाया आरोप

ढाका में पाकिस्तान पर बरसे पीएम मोदी, आतंकवाद को शह देने का लगाया आरोप
ढाका: पाकिस्तान पर खुला हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज उस पर 'परेशानी' पैदा करने और आतंकवाद को शह देकर 'लगातार' भारत के लिए दिक्कतें खड़ी करने का आरोप लगाया।

प्रधानमंत्री ने ढाका स्थित बंगबंधु इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में अपने संबोधन के दौरान पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की और क्षेत्र में बांग्लादेश के साथ मिलकर आतंकवाद का मुकाबला करने की प्रतिबद्धता जताई।

मोदी ने ढाका यूनिवर्सिटी में अपने संबोधन में कहा, 'पाकिस्तान आए दिन भारत को परेशान करता है जो नाक में दम कर देता है, आतंकवाद को बढ़ावा देने की घटनाएं घटती रहती हैं।'

मोदी ने सन 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का जिक्र करते हुए हुए कहा कि तब हमारे कब्जे में 90 हजार पाकिस्तानी फौजी थे। उन्होंने कहा, 'अगर हमारी विकृत मानसिकता होती, तो हमें नहीं पता कि हमने क्या निर्णय किया होता।' उन्होंने कहा, 'आतंकवाद की कोई सीमा नहीं होती। भारत इससे पिछले 40 वर्षों से परेशान रहा है। कितने बेगुनाह लोग मारे गए और आतंकवाद से जुड़े लोगों को क्या मिला और उन्होंने विश्व को क्या दिया... आतंकवाद का कोई मूल्य नहीं होता, कोई सिद्धांत, कोई परंपराएं नहीं होती और उसका एक ही उद्देश्य होता है और वह है मानवता के खिलाफ शत्रुता।'

इससे पहले पीएम मोदी की दो दिवसीय बांग्लादेश यात्रा के आखिरी दिन जारी एक संयुक्त घोषणापत्र में दोनों देशों ने 'आतंकवाद और अतिवाद के सभी स्वरूपों के खिलाफ स्पष्ट एवं समझौता नहीं करने वाली नीति अपनाने की प्रतिबद्धता जताई।' दोनों पक्षों ने इसके साथ ही आतंकवाद में लिप्त होने वाले समूहों और व्यक्तियों के बारे में सूचना साझा करने के बारे में एकदूसरे को सहयोग करने की भी प्रतिबद्धता जतायी।

घोषणापत्र में कहा गया है, 'दोनों पक्षों ने प्रतिबद्धता जतायी कि वे अपने अपने क्षेत्रों का इस्तेमाल दूसरे के प्रति प्रतिकूल किसी गतिविधि के लिए करने की इजाजत नहीं देंगे।'

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में विस्तारवाद के खिलाफ कड़ा हमला बोला और कहा कि आज के विश्व में इसके लिए कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा, 'विश्व बदल चुका है, एक समय था जब हो सकता है कि विस्तारवाद का इस्तेमाल किसी देश की शक्ति के प्रतीक के रूप में होता हो कि कोई कितना विस्तार कर रहा है और किस स्थान पर पहुंच रहा है... लेकिन समय बदल चुका है। इस युग में विस्तारवाद के लिए कोई स्थान नहीं है और विश्व विकास चाहता है, विस्तारवाद नहीं और यही मूल दृष्टि है।'

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