इस्लामाबाद:
पाकिस्तान के आंतरिक सुरक्षा मंत्री चौधरी निसार अली खान ने कहा है कि चर्चित 'अफगान गर्ल' शरबत गुला जल्द ही जमानत पर रिहा कर दी जाएगी. शरबत अब लगभग 40 साल की हो चुकी है. उसे फेडरल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एफआईए) ने एक फर्जी कंप्युटराइज्ड राष्ट्रीय पहचानपत्र रखने के जुर्म में उसके घर से गिरफ्तार किया था. उसके पास पाकिस्तान और अफगानिस्तान, दोनों देशों की नागरिकता है. उसके पास से दोनों जगह के पहचानपत्र बरामद हुए थे.
अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून में रविवार को छपी खबर के मुताबिक, अदालत उसके मामले की सुनवाई 1 नवंबर को करेगी.
बीबीसी के अनुसार, चौधरी निसार अली खान ने कहा, मैं सोचता हूं कि मुझे इस मामले की तजबीज करनी चाहिए, क्योंकि वह एक खातून हैं और हमें इसे इंसानियत के नजरिए से देखना चाहिए."
उन्होंने कहा, "अगर हम उस पर लगे इल्जामात वापस ले लेते हैं या पाकिस्तान छोड़ने के लिए टेम्पररी वीजा दे देते हैं तो हमें उन अफसरों पर से मुकदमे वापस लेने होंगे, जिन्होंने उसे फर्जी आईकार्ड जारी किया. वे सचमुच गुनहगार हैं और मैं इस मामले में उन्हें कोई रियायत देना नहीं चाहता."
शरबत गुला उस समय चर्चा में आई थी, जब नेशनल ज्योग्राफिक पत्रिका के फोटोग्राफर स्टीव मैकक्यूरी ने 1984 में पेशावर के नजदीक नसीरबाग शरणार्थी शिविर में जाकर उसकी तस्वीर खींची थी और उसकी पहचान शरबत गुला के तौर पर की थी.
जून, 1985 में उसकी तस्वीर नेशनल ज्योग्राफिक पत्रिका के मुखपृष्ठ पर छपी थी. उस समय वह लगभग 12 साल की थी. उस तस्वीर से उसे दुनियाभर के लोग जानने लगे. लोग उसकी तुलना लियोनार्दो दा विंची के 'मोनालिसा' से करने लगे थे.
नेशनल ज्योग्राफिक ने शरबत गुला के जीवन पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई है, जिसे नाम दिया है 'मोनालिसा ऑफ अफगान वार'.
अफगान लेखकों का कहना है कि वह पाकिस्तान की सीमा से लगते अफगानिस्तान के पूर्वी प्रांत नांगरहार के पचीर अव अगम जिले की रहने वाली है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून में रविवार को छपी खबर के मुताबिक, अदालत उसके मामले की सुनवाई 1 नवंबर को करेगी.
बीबीसी के अनुसार, चौधरी निसार अली खान ने कहा, मैं सोचता हूं कि मुझे इस मामले की तजबीज करनी चाहिए, क्योंकि वह एक खातून हैं और हमें इसे इंसानियत के नजरिए से देखना चाहिए."
उन्होंने कहा, "अगर हम उस पर लगे इल्जामात वापस ले लेते हैं या पाकिस्तान छोड़ने के लिए टेम्पररी वीजा दे देते हैं तो हमें उन अफसरों पर से मुकदमे वापस लेने होंगे, जिन्होंने उसे फर्जी आईकार्ड जारी किया. वे सचमुच गुनहगार हैं और मैं इस मामले में उन्हें कोई रियायत देना नहीं चाहता."
शरबत गुला उस समय चर्चा में आई थी, जब नेशनल ज्योग्राफिक पत्रिका के फोटोग्राफर स्टीव मैकक्यूरी ने 1984 में पेशावर के नजदीक नसीरबाग शरणार्थी शिविर में जाकर उसकी तस्वीर खींची थी और उसकी पहचान शरबत गुला के तौर पर की थी.
जून, 1985 में उसकी तस्वीर नेशनल ज्योग्राफिक पत्रिका के मुखपृष्ठ पर छपी थी. उस समय वह लगभग 12 साल की थी. उस तस्वीर से उसे दुनियाभर के लोग जानने लगे. लोग उसकी तुलना लियोनार्दो दा विंची के 'मोनालिसा' से करने लगे थे.
नेशनल ज्योग्राफिक ने शरबत गुला के जीवन पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई है, जिसे नाम दिया है 'मोनालिसा ऑफ अफगान वार'.
अफगान लेखकों का कहना है कि वह पाकिस्तान की सीमा से लगते अफगानिस्तान के पूर्वी प्रांत नांगरहार के पचीर अव अगम जिले की रहने वाली है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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