पाकिस्तान के नये प्रधानमंत्री इमरान खान को अमेरिका के विदेश मंत्री ने बधाई दी थी. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पाकिस्तान के नये प्रधानमंत्री इमरान खान और अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो के बीच हुई फोन पर बातचीत का ब्यौरा जारी होने के बाद से पाकिस्तान में विवाद शुरू हो गया है और पाकिस्तान सरकार की ओर से अमेरिका से इस पर सुधार करने के लिये कहा गया है. इससे पहले जानकारी आई थी कि माइक पोम्पियो ने इमरान खान से बात की और देश में संचालित हो रहे सभी आतंकवादियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की मांग की. लेकिन अब पाकिस्तान की ओर से कहा जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत में आतंकवाद पर कोई चर्चा ही नहीं हुई है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हीथर नाउर्ट की ओर से जारी बयान में आतंकवाद पर निर्णायक कार्रवाई की बात का जिक्र किया गया है. वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से कहा जा रहा है कि माइक पोम्पियो ने इमरान खान को बधाई दी और कई मुद्दों पर चर्चा की लेकिन आतंकवाद का कहीं कोई जिक्र नहीं किया गया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा, 'प्रधानमंत्री इमरान खान और अमेरिकी विदेश मंत्री के बीच हुई बातचीत का जो ब्यौरा अमेरिका की ओर से जारी किया गया है इसे पाकिस्तान गलत तथ्यों पर आधारित बयान मानता है. इसको तुरंत सुधारा जाना चाहिये' मोहम्मद फैसल ने ट्विटर पर लिखा, 'पूरी बातचीत में पाकिस्तान से संचालित आतंकवाद का कहीं कोई जिक्र नही है. आपको बता दें कि पाकिस्तान में यह विवाद उस समय शुरू हुआ है जब कयास लगाये जा रहे हैं कि अमेरिकी विदेश मंत्री सितंबर के पहले हफ्ते में पाकिस्तान आएंगे और प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ द्विपक्षीय बातचीत करेंगे.
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गौरतलब है कि इससे पहले खबर आई थी कि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से बात की और देश में संचालित हो रहे सभी आतंकवादियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की मांग की है. विदेश विभाग की प्रवक्ता हीथर नाउर्ट ने एक बयान में कहा कि खान के साथ अपनी बातचीत में पोम्पियो ने युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान में पाकिस्तान की अहम भूमिका के बारे में भी चर्चा की. उन्होंने बताया कि पोम्पियो ने पाकिस्तान की सरजमीं पर संचालित हो रहे सभी आतंकवादियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का मुद्दा उठाया और अफगान शांति प्रक्रिया को बढ़ावा देने में उसकी अहम भूमिका पर चर्चा की. डॉन अखबार की खबर के मुताबिक पोम्पियो के पांच सितंबर को इस्लामाबाद की यात्रा करने की उम्मीद है.
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अफगान तालिबान और अन्य आतंकी संगठनों को पाकिस्तान द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष समर्थन दिए जाने से अमेरिका लंबे समय से परेशान रहा है जिसके चलते ट्रंप प्रशासन को इस्लामाबाद को चेतावनी देनी पड़ी और इस देश को वित्तीय सैन्य सहायता में कटौती करनी पड़ी.
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