इस्लामाबाद:
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ को इस साल के शुरू में जारी किया गया अवमानना नोटिस आज वापस ले लिया। अशरफ को यह नोटिस राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले पुन: खोलने के लिए स्विस प्राधिकारियों से संपर्क न करने की वजह से जारी किया गया था।
न्यायमूर्ति अनवर जहीर जमाल की अगुवाई में पांच-सदस्यीय पीठ ने अवमानना नोटिस वापस लिया। इससे पहले विधि मंत्री फारूक नाइक ने एक रसीद पेश की, जिसमें दिखाया गया था कि स्विस प्राधिकारियों को भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने के लिए भेजा गया सरकार का हालिया पत्र 9 नवंबर को मिल गया।
सुनवाई के दौरान नाइक ने सुप्रीम कोर्ट से मामला खारिज करने का अनुरोध किया, क्योंकि अटॉर्नी जनरल द्वारा लिखा गया सरकार का पत्र जिनेवा में स्विस अटॉर्नी जनरल को भेजा जा चुका है। न्यायमूर्ति जमाली ने कहा कि सरकार ने भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने के लिए स्विस प्राधिकारियों को पत्र लिखने के कोर्ट के आदेश का पालन किया है।
सुनवाई के बाद नाइक ने संवाददाताओं से कहा कि कोर्ट का फैसला न्याय एवं लोकतंत्र की जीत है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के हर आदेश का पालन किया है। स्विस प्राधिकारियों को भेजे गए सरकार के पत्र में साफ कहा गया है कि भ्रष्टाचार के मामले इस शर्त पर पुन: खोले जा सकते हैं कि राष्ट्रपति को संविधान, पाकिस्तानी और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत छूट मिली हुई है। सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच महीनों के विवाद के बाद, स्विस प्राधिकारियों को भेजे जाने वाले पत्र की सामग्री को लेकर हाल ही में सहमति बनी।
न्यायमूर्ति अनवर जहीर जमाल की अगुवाई में पांच-सदस्यीय पीठ ने अवमानना नोटिस वापस लिया। इससे पहले विधि मंत्री फारूक नाइक ने एक रसीद पेश की, जिसमें दिखाया गया था कि स्विस प्राधिकारियों को भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने के लिए भेजा गया सरकार का हालिया पत्र 9 नवंबर को मिल गया।
सुनवाई के दौरान नाइक ने सुप्रीम कोर्ट से मामला खारिज करने का अनुरोध किया, क्योंकि अटॉर्नी जनरल द्वारा लिखा गया सरकार का पत्र जिनेवा में स्विस अटॉर्नी जनरल को भेजा जा चुका है। न्यायमूर्ति जमाली ने कहा कि सरकार ने भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने के लिए स्विस प्राधिकारियों को पत्र लिखने के कोर्ट के आदेश का पालन किया है।
सुनवाई के बाद नाइक ने संवाददाताओं से कहा कि कोर्ट का फैसला न्याय एवं लोकतंत्र की जीत है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के हर आदेश का पालन किया है। स्विस प्राधिकारियों को भेजे गए सरकार के पत्र में साफ कहा गया है कि भ्रष्टाचार के मामले इस शर्त पर पुन: खोले जा सकते हैं कि राष्ट्रपति को संविधान, पाकिस्तानी और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत छूट मिली हुई है। सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच महीनों के विवाद के बाद, स्विस प्राधिकारियों को भेजे जाने वाले पत्र की सामग्री को लेकर हाल ही में सहमति बनी।
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