
पाकिस्तान के पूर्व सैनिक तानाशाह परवेज मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह के मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने बुधवार को चेतावनी दी कि यदि वे गुरुवार को पेश नहीं हुए तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, 10 दिनों के भीतर मुशर्रफ लगातार दूसरी बार तीन सदस्यीय पीठ के सामने हाजिर नहीं हुए और अदालत की कार्यवाही टालनी पड़ी।
पाकिस्तान में नवंबर 2007 में आपातकाल थोपने और संविधान को निलंबित करने व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को नजरबंद रखने के कारण सरकार ने मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह का मामला दायर किया है। कानूनी विशेषज्ञों की राय है कि यदि आरोप सही साबित हुए और मुशर्रफ दोषी ठहराए जाते हैं तो उन्हें फांसी या उम्रकैद की सजा सुनाई जा सकती है।
उच्च श्रेणी के देशद्रोह के मामले में आरोप तय करने के लिए पीठ ने मुशर्रफ को समन किया था। बचाव पक्ष के वकील ने अदालत को बताया कि पूर्व राष्ट्रपति सुरक्षा के अभाव के कारण हाजिर नहीं हो सके हैं।
इस्लामाबाद पुलिस के प्रमुख ने अदालत को बताया कि पूर्व राष्ट्रपति के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है और करीब 1000 सुरक्षाकर्मियों को मुशर्रफ के घर से अदालत तक तैनात किया गया है।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने अदालत को बताया कि मुशर्रफ को एक बुलेट प्रूफ गाड़ी मुहैया कराई गई है, लेकिन यह भी बताया कि इस्लामाबाद पुलिस के पास बम प्रूफ वाहन नहीं है।
पुलिस ने इससे पहले दावा किया कि मुशर्रफ के अदालत जाने के रास्ते में सड़क किनारे के एक रेस्तरां से दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने यह भी कहा कि उन्होंने मुशर्रफ के घर के पास से और उनके अदालत जाने वाले रास्ते से विस्फोटक बरामद किया है।
विशेष अदालत के न्यायमूर्ति फैसल अरब ने मुशर्रफ की गैरहाजिरी पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि पूर्व राष्ट्रपति हर हाल में गुरुवार को अदालत में हाजिर हों। अदालत ने उन्हें हाजिर होने के लिए समन जारी कर रखा है।
उन्होंने कहा कि अदालत उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी नहीं करना चाहती क्योंकि वे पूर्व राष्ट्रपति हैं और न्यायाधीश उन्हें अपमानित नहीं करना चाहते।
विशेष अभियोजक अकरम शेख ने भी इस बात पर जोर दिया कि आरोपी को अदालत में हाजिर होना चाहिए और उन्होंने मुशर्रफ के वकील से यह साफ करने के लिए कहा कि वे अपने मुवक्किल के लिए किस तरह की सुरक्षा चाहते हैं।
जैसे ही अदालत की कार्यवाही शुरू हुई मुशर्रफ के वकीलों ने विशेष अदालत के गठन और शक्तियों पर सवाल उठाया और दलील दी कि प्रधानमंत्री किसी अदालत के न्यायाधीशों का मनोनयन नहीं कर सकते।
अदालत ने कहा कि वह अपने संघटन और न्यायसीमा पर गुरुवार को फैसला सुनाएगी। बचाव पक्ष के वकील ने अदालत से पांच सप्ताह के लिए सुनवाई रोकने की अपील की, लेकिन अदालत ने उसे ठुकरा दिया।
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