पाकिस्तान के नौसेना अधिकारियों को चीन प्रशिक्षण प्रदान करेगा...
नई दिल्ली:
पिछले साल मई माह में चीन की परमाणुशक्ति-चालित एक लड़ाकू पनडुब्बी कराची के बंदरगाह पर मौजूद थी. यह मामला एक कदम और आगे बढ़ने जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान के नौसेना अधिकारियों को इसके परिचालन प्रक्रिया के बारे में बताया जाएगा. इससे भारत का चितिंत होना लाजिमी है.
भारतीय नौसेना का मानना है कि पाकिस्तान परमाणुशक्ति-चालित लड़ाकू पनडुब्बी को लीज पर ले लेगा. माना जाता है कि पाकिस्तानी नौसेना के कर्मचारियों को इस लड़ाकू पनडुब्बी का प्रशिक्षण दिया गया है.
बीते शुक्रवार को एनडीटीवी ने गूगल अर्थ की एक तस्वीर पेश की थी. कराची से मिली इस तस्वीर, जिसे सबसे पहले सैटेलाइट इमेजरी एक्सपर्ट (जिनका ट्विटर हैंडल @rajfortyseven है) ने ढूंढा था, में चीनी नौसेना की टाइप 091 'हान' क्लास लड़ाकू पनडुब्बी को साफ देखा जा सकता था. यह पनडुब्बी चीन द्वारा तैनात की गई शुरुआती पनडुब्बियों में से एक है. इस तस्वीर को गूगल अर्थ की हिस्टॉरिकल इमेजरी आइकॉन पर क्लिक कर और मई, 2016 तक स्क्रॉल कर देखा जा सकता था.
परंपरागत पनडुब्बियों से अलग परमाणुशक्ति-चालित पनडुब्बियों की खासियत यह होती है कि वे असीमित दूरी तक बहुत-से काम करती रह सकती हैं, क्योंकि उन्हें बार-बार ईंधन भरने की ज़रूरत नहीं होती. इसका अर्थ यह हुआ कि टॉरपीडो और क्रूज़ मिसाइलों से लैस इन पनडुब्बियों को पानी के भीतर ज़्यादा समय तक तैनात रखा जा सकता है, जहां इन्हें तलाश कर पाना या इनका सुराग पाना बेहद कठिन होता है.
भारतीय नौसेना का मानना है कि पाकिस्तान परमाणुशक्ति-चालित लड़ाकू पनडुब्बी को लीज पर ले लेगा. माना जाता है कि पाकिस्तानी नौसेना के कर्मचारियों को इस लड़ाकू पनडुब्बी का प्रशिक्षण दिया गया है.
बीते शुक्रवार को एनडीटीवी ने गूगल अर्थ की एक तस्वीर पेश की थी. कराची से मिली इस तस्वीर, जिसे सबसे पहले सैटेलाइट इमेजरी एक्सपर्ट (जिनका ट्विटर हैंडल @rajfortyseven है) ने ढूंढा था, में चीनी नौसेना की टाइप 091 'हान' क्लास लड़ाकू पनडुब्बी को साफ देखा जा सकता था. यह पनडुब्बी चीन द्वारा तैनात की गई शुरुआती पनडुब्बियों में से एक है. इस तस्वीर को गूगल अर्थ की हिस्टॉरिकल इमेजरी आइकॉन पर क्लिक कर और मई, 2016 तक स्क्रॉल कर देखा जा सकता था.
परंपरागत पनडुब्बियों से अलग परमाणुशक्ति-चालित पनडुब्बियों की खासियत यह होती है कि वे असीमित दूरी तक बहुत-से काम करती रह सकती हैं, क्योंकि उन्हें बार-बार ईंधन भरने की ज़रूरत नहीं होती. इसका अर्थ यह हुआ कि टॉरपीडो और क्रूज़ मिसाइलों से लैस इन पनडुब्बियों को पानी के भीतर ज़्यादा समय तक तैनात रखा जा सकता है, जहां इन्हें तलाश कर पाना या इनका सुराग पाना बेहद कठिन होता है.
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